Shimla News: एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले की कड़ी निंदा की है। प्रशासन ने प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव न करवाने का निर्णय लिया है। इसके बजाय नामांकन और मेरिट के आधार पर केंद्रीय छात्र संघ बनाया जाएगा। एसएफआई ने इसको छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रक्रिया के लिए समयसीमा तय की है। शेड्यूल के अनुसार 16 से 25 सितंबर के बीच प्रक्रिया पूरी करनी होगी। एसएफआई का मानना है कि यह छात्रों की आवाज़ दबाने का एक तरीका है। संगठन ने वर्ष 2014 से चले आ रहे चुनाव प्रतिबंध पर गहरी चिंता जताई है।
विश्वविद्यालय की गिरती रैंकिंग पर चिंता
एसएफआई ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की गिरती रैंकिंग पर भी ध्यान दिलाया। संगठन का कहना है कि यह गिरावट शिक्षा की गुणवत्ता में कमी को दर्शाती है। बुनियादी सुविधाओं की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। एसएफआई ने तुरंत प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव बहाल करने की मांग की है।
संगठन ने राज्यभर में अपने संघर्ष को तेज करने का फैसला किया है। एसएफआई तब तक आंदोलन जारी रखेगी जब तक छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकार बहाल नहीं हो जाते। छात्रों की वास्तविक मांगों को पूरा करना भी संगठन की प्रमुख मांग है।
