शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: जनजातीय विकास में नई ऊंचाई, अढ़ाई साल में 3000 करोड़ से अधिक का हुआ निवेश

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए बड़ा कदम उठाया है। पिछले अढ़ाई वर्षों में राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में 3000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इस व्यापक पहल का सीधा लाभ 35,000 से ज्यादा जनजातीय परिवारों को मिला है। बेहतर बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और आजीविका कार्यक्रम इसके प्रमुख घटक हैं।

सरकार ने जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के लिए मजबूत वित्तीय आधार तैयार किया है। वर्ष 2022-23 में इसके लिए 855 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान रखा गया। 2023-24 में 857.14 करोड़ रुपये और 2024-25 में 890.28 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। आगामी वर्ष 2025-26 के लिए 638.73 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है।

बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर

जनजातीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। सड़कों, पुलों, परिवहन संरचना और सार्वजनिक भवनों के निर्माण पर अब तक भारी निवेश हुआ है। वर्ष 2022-23 में इन कार्यों के लिए 290.58 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई। 2023-24 में 287.99 करोड़ रुपये और 2024-25 में 62.92 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

आगामी वर्ष 2025-26 के लिए 125.06 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इस निवेश से दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार आई है। लोगों के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं तक पहुंच आसान हुई है।

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए गए हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य उपकेंद्रों का उन्नयन किया गया है। मोबाइल आउटरीच और रेफरल इकाइयां स्थापित की गई हैं। पेयजल और बिजली आपूर्ति को अधिक विश्वसनीय बनाया गया है।

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शिक्षा के क्षेत्र में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का विस्तार हुआ है। निचार, भरमौर, पांगी और लाहौल में चार ऐसा स्कूल संचालित हैं। इनमें वर्तमान में 1,008 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हर साल छठी कक्षा में 150 नए प्रवेश दिए जाते हैं।

आजीविका और आर्थिक विकास

जनजातीय परिवारों की आय बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। बागवानी, पशुपालन और स्थानीय उपज के मूल्यवर्धन से जुड़ी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन आजीविका सहायता कार्यक्रमों ने परिवारों की आय को स्थिर करने में मदद की है। सरकार का लक्ष्य है कि जनजातीय समुदाय आर्थिक रूप से स्वावलंबी बने।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमांत क्षेत्रों के विकास पर केंद्र है। किन्नौर, पूह और स्पीति में 75 सीमांत बस्तियों के लिए विकास योजनाएं तैयार की गई हैं। इनमें बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और आर्थिक अवसरों को मजबूत करने के प्रावधान हैं।

वन अधिकार अधिनियम का कार्यान्वयन

वन अधिकार अधिनियम को लागू करने में हिमाचल प्रदेश ने उल्लेखनीय progress की है। जनजातीय जिलों में अधिकारियों और सामुदायिक प्रतिनिधियों को गहन प्रशिक्षण दिया गया है। जून 2025 तक 901 भूमि अधिकार प्रदान किए जा चुके हैं। इनमें 755 व्यक्तिगत और 146 सामुदायिक अधिकार शामिल हैं।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने अप्रैल 2025 में एक विशेष कैलेंडर जारी किया है। इसका उद्देश्य लंबित दावों के समान और समयबद्ध निपटारे को सुनिश्चित करना है। इससे जनजातीय समुदाय को उनके पारंपरिक अधिकार मिलने में मदद मिलेगी।

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शिक्षा инфраструктура का विस्तार

राज्य सरकार जनजातीय छात्रों के लिए शिक्षण सुविधाएं का विस्तार कर रही है। पांगी और लाहौल में नए स्कूल और छात्रावास परिसरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इन परियोजनाओं के लिए क्रमशः दो करोड़ रुपये और 1.90 करोड़ रुपये पहले से जारी किए जा चुके हैं। इससे छात्रों को बेहतर शैक्षिक वातावरण मिलेगा।

एकलव्य मॉडल स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आवासीय सुविधाओं के कारण दूरदराज के क्षेत्रों के बच्चे भी गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं। यह पहल जनजातीय युवाओं के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य

सरकार ने 20-सूत्री कार्यक्रम के तहत महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। वर्ष 2023-24 में 8,598 परिवारों को कवर किया गया जबकि 2024-25 में 12,663 परिवारों तक पहुंच बनाई गई। यह निर्धारित लक्ष्य से लगभग दोगुना है। आगामी वर्ष 2025-26 के लिए 6,314 परिवारों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।

जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना का कार्य भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। 40.29 करोड़ रुपये की लागत से इसके लिए भूमि हस्तांतरण और वैधानिक अनुमोदन पूरी हो चुकी हैं। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार की जा चुकी है। यह संस्थान जनजातीय विकास के लिए शोध और क्षमता निर्माण का केंद्र बनेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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