Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में रेत मक्खी से फैलने वाली बीमारी चिंता का कारण बन गई है। कटैनीय लीशमैनियासिस नामक यह बीमारी अब सिर्फ सतलुज घाटी तक सीमित नहीं रही। विशेषज्ञों का कहना है कि यह राज्य के कई नए जिलों में तेजी से पैर पसार रही है। इससे स्वास्थ्य विभाग की चिंताएं बढ़ गई हैं।
इस मक्खी के काटने से त्वचा पर छोटे दाग बन जाते हैं। यह दाग आसानी से ठीक नहीं होते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर त्वचा की बनावट बिगड़ सकती है। इससे व्यक्ति की सुंदरता पर भी बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
जलवायु परिवर्तन है मुख्य वजह
विशेषज्ञों के मुताबिक जलवायु परिवर्तन इस बीमारी के फैलने की प्रमुख वजह है। बढ़ती गर्मी और वर्षा के पैटर्न में बदलाव ने मक्खियों के लिए अनुकूल माहौल बना दिया है। पारिस्थितिकीय असंतुलन ने भी इस समस्या को बढ़ाया है। प्राकृतिक आवासों में हुए बदलावों ने मक्खियों के प्रजनन को बढ़ावा दिया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से विशेष सावधानी बरतने को कहा है। घर के आसपास सफाई रखना बहुत जरूरी है। खुले पानी के स्रोतों को ढककर रखना चाहिए। बाहर निकलते समय शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए। यह साधारण उपाय बीमारी से बचाव में मददगार साबित हो सकते हैं।
त्वचा के दागों को न करें नजरअंदाज
स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को चेतावनी दे रहे हैं। त्वचा पर लगातार बढ़ने वाले दागों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाना चाहिए। शुरुआती अवस्था में इलाज संभव है। देरी करने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
समय पर रोकथाम और उचित इलाज से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। अनदेखा करने पर त्वचा पर स्थायी दाग रह सकते हैं। इससे व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। मानसिक तनाव की स्थिति भी पैदा हो सकती है। इसलिए जागरूकता बहुत जरूरी है।
राज्य सरकार ने बढ़ाई निगरानी
हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय निकायों को निर्देश दिए हैं। मक्खी और बीमारी पर निगरानी बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। समय पर नियंत्रण के उपाय करने पर जोर दिया जा रहा है। सतलुज घाटी के अलावा अन्य पहाड़ी क्षेत्र भी अब खतरे की जद में हैं।
विशेषज्ञों ने मक्खी के प्रजनन क्षेत्रों की पहचान करने की सलाह दी है। खुले गड्ढे और पत्तों के ढेर मक्खियों के पनपने के लिए अनुकूल स्थान हैं। नमी वाली जगहों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। नागरिकों को अपने आसपास का वातावरण साफ रखना चाहिए। सफाई ही इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है।
