Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायतीराज विभाग के बीच विवाद खड़ा हो गया है। पंचायतों की सीमाओं और वर्गीकरण के बदलाव पर रोक को लेकर दोनों के बीच तनाव है। आयोग ने स्पष्ट किया कि वह विभाग के पत्राचार का लिखित जवाब तैयार कर रहा है। विभाग ने दावा किया है कि पंचायतों की सीमा बदलने का अधिकार राज्य सरकार को है।
राज्य चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को अधिसूचना जारी कर आदर्श आचार संहिता की धारा 12.1 लागू कर दी थी। पंचायतीराज विभाग ने इसे हटाने का आग्रह किया है। विभाग का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक पंचायतों की सीमा में बदलाव नहीं किया जा सकता। आयोग का मानना है कि चुनाव तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
चुनाव में देरी की आशंका
आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि वार्डों का पुनर्गठन किया गया तो चुनाव आगे सरक सकते हैं। इस प्रक्रिया में काफी समय लगेगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि उसने नियमों के तहत ही आचार संहिता लागू की है। विभाग को जवाब नियमों को ध्यान में रखते हुए दिया जाएगा।
आयोग का कहना है कि पंचायतीराज संस्थाओं की चुनाव तैयारियां पूरी हो गई हैं। बैलेट पेपर छप चुके हैं और मतदाताओं की सूचियां तैयार हो चुकी हैं। अब आयोग को सिर्फ रोस्टर का इंतजार है। ऐसे में किसी भी तरह का बदलाव चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
चुनाव पर खर्च का आकलन
हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में 25 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने खर्चे का आकलन लगा लिया है। इस राशि में कर्मचारियों की ड्यूटी, सरकारी मशीनरी और पेपर छपाई का खर्च शामिल है। कर्मचारियों के टीए-डीए पर भी यही राशि खर्च होती है।
सरकारी कर्मचारी और अधिकारी चुनाव नतीजे घोषित होने तक आयोग के पास डेपुटेशन पर रहते हैं। चुनावी प्रक्रिया खत्म होने के बाद ये अपने विभाग लौटते हैं। आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा ड्यूटियां शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की लगती हैं।
शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका
अधिकांश पोलिंग स्टेशन स्कूलों में ही स्थापित किए जाते हैं। इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों की सबसे ज्यादा ड्यूटी लगती है। इसके बाद पुलिस और होमगार्ड के जवानों की ड्यूटी होती है। कर्मचारियों के खाने और रहने का इंतजाम आयोग की तरफ से किया जाता है।
सरकार की तरफ से इसके लिए राशि जारी की जाती है। पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव का पूरा खर्च प्रदेश सरकार को उठाना होता है। आयोग चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है और सिर्फ रोस्टर का इंतजार कर रहा है।
चुनाव प्रक्रिया की तैयारियां
पंचायतीराज संस्थाओं का पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के चार महीने पहले आयोग तैयारियां शुरू कर देता है। इस बार भी आयोग ने समय रहते सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। बैलेट पेपर की छपाई और मतदाता सूचियों का काम पूरा हो चुका है। अब आयोग सरकार से रोस्टर जारी करने का इंतजार कर रहा है।
आयोग के अधिकारियों का कहना है कि वे चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। किसी भी तरह की देरी से चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। आयोग चाहता है कि चुनाव समय पर संपन्न हों। इसके लिए सभी पक्षों को सहयोग करना चाहिए।
