Kullu News: Himachal Pradesh के कुल्लू जिले में हुए सैंज हत्याकांड ने पूरे राज्य को हिला दिया है। दलित महिला दुकानदार की हत्या मामले में अब अनुसूचित जाति आयोग ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आयोग ने अपनी सुनवाई में माना है कि पुलिस ने जानबूझकर मामले में लापरवाही बरती। लीपापोती के आरोप सही पाए जाने पर अब तत्कालीन एसपी (SP) और डीएसपी (DSP) पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
पुलिस ने की लीपापोती, अब नपेंगे बड़े अधिकारी
आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने सैंज में पीड़ित परिवार से मुलाकात की। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस की शुरुआती जांच पूरी तरह संदेह के घेरे में है। Himachal Pradesh पुलिस ने न केवल केस तैयार करने में ढिलाई बरती, बल्कि सबूत जुटाने में भी कोताही की। तथ्यों को दबाने के संकेत मिले हैं। इस मामले में संबंधित थाने के एसएचओ (SHO) को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। अब आयोग एसपी और डीएसपी के खिलाफ भी विभागीय जांच की सिफारिश करेगा।
सीएम सुक्खू ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश
धीमान ने बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस घटना को लेकर बेहद गंभीर हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि दोषी चाहे किसी भी पद पर क्यों न हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। सैंज क्षेत्र में अनुसूचित जाति की महिला के साथ हुई यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। आयोग का कहना है कि पुलिस ने सही धाराएं समय पर नहीं लगाईं। इस कारण पोस्टमार्टम प्रक्रिया भी सही मानकों के अनुसार नहीं हो सकी।
शराब के नशे में हुआ हत्या का खुलासा
सैंज के जाहिला गांव की यह महिला 12 अगस्त को लापता हुई थी। 14 अगस्त को जंगल में उसका शव पेड़ से लटका मिला। Himachal Pradesh पुलिस ने जल्दबाजी में महिला के पति को ही आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सच कुछ और ही था। एक पीडब्ल्यूडी कर्मी ने शराब के नशे में अपने दोस्त को फोन पर सारी सच्चाई बता दी। यह कॉल रिकॉर्डिंग वायरल हो गई, जिसने पूरे केस को पलट दिया। जांच में पता चला कि महिला की हत्या की गई थी और रेप की भी आशंका है।
आयोग के दखल के बाद जेल गए 4 आरोपी
लोगों के भारी गुस्से और कॉल रिकॉर्डिंग वायरल होने के बाद एसआईटी (SIT) का गठन किया गया। एसआईटी ने जांच को सही दिशा में आगे बढ़ाया और चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। आयोग ने पीड़ित महिला के पति, बच्चों और पंचायत प्रतिनिधियों से विस्तृत पूछताछ की है। अध्यक्ष ने माना कि अगर स्थानीय लोगों का दबाव न होता, तो शायद पुलिस इस मामले को रफा-दफा कर देती। सुनवाई के दौरान उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक भी मौजूद रहे।
