Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में प्रिंसिपलों के पुनर्नियुक्तिकरण को लेकर गहरा असंतोष फैला हुआ है। हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय शिक्षक संघ ने इस मुद्दे पर शिक्षा सचिव और निर्देशक को ज्ञापन भेजा है। संघ ने प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
संघ की प्रदेश अध्यक्ष बनीता सकलानी ने बताया कि अधिसूचना में पुनर्नियुक्ति का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। फिर भी कुछ प्रिंसिपल बिना विभागीय आदेशों के पदों पर बने हुए हैं। इससे योग्य शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर बाधित हो रहे हैं।
सितंबर माह में हुई 15 शिक्षकों की पदोन्नति अभी तक अधर में लटकी हुई है। इन पदोन्नतियों पर पुनर्नियुक्त प्रिंसिपलों के कारण रोक लगी हुई है। कई शिक्षकों का भविष्य अनिश्चितता में है।
शिक्षा विभाग पर लगे आरोप
हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग इस मामले से बेखबर बैठा है। विभाग की ओर से न तो जांच हो रही है और न ही कोई स्पष्टीकरण जारी हुआ है। विभाग की इस निष्क्रियता से प्रशासनिक अव्यवस्था बढ़ रही है।
संघ का कहना है कि महाविद्यालय प्रिंसिपल मुख्यतः प्रशासनिक कार्यों में संलग्न रहते हैं। शिक्षण गतिविधियों में उनकी सीधी भागीदारी नहीं होती। ऐसे में उन्हें शिक्षण संकाय के रूप में पुनर्नियुक्त करना तर्कसंगत नहीं है।
यूजीसी दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रिंसिपल को पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद शिक्षण कार्यभार संभालना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में इस प्रावधान का पालन नहीं हो रहा है। इससे नीति-स्तर पर स्पष्टता का अभाव दिखता है।
विभागीय नियमों में विरोधाभास
वर्ष 2023 में महाविद्यालय प्रिंसिपलों की पदोन्नति प्रिंसिपल पद रिक्रूटमेंट एवं प्रमोशन अधिनियम 2020 के तहत हुई। वर्ष 2017 में कार्यकारी प्रधानाचार्यों का नियमितीकरण भी इसी अधिनियम के तहत हुआ था।
वर्ष 2020 के नियमों में प्रिंसिपलों को शिक्षण संकाय का हिस्सा नहीं माना गया है। इसलिए संघ का मानना है कि वर्ष 2012 के अधिनियमों के अनुसार प्रिंसिपलों को शिक्षण संकाय वर्ग का हिस्सा मानना तर्कसंगत नहीं है।
संघ ने राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। पुनर्नियुक्ति नीति की समीक्षा कर पारदर्शी और न्यायसंगत निर्णय लेने का आग्रह किया है। बिना प्राधिकरण के पदों पर बने प्रिंसिपलों को हटाने की मांग की गई है।
संघ ने प्रिंसिपल पद के लिए पदोन्नत हुए शिक्षकों को शीघ्र नियुक्ति देने का भी अनुरोध किया है। इस मामले में शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। शिक्षक संघ ने यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
