Himachal News: हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ताओं के संघ ने शिक्षा विभाग के आदेश का कड़ा विरोध किया है। इस आदेश के तहत प्रवक्ताओं को नौवीं और दसवीं कक्षा पढ़ाते समय फोटो खींचनी होगी। संघ ने इस आदेश को शिक्षकों का अपमान बताया है।
राज्य चेयरमैन सुरेंद्र पुंडीर ने बयान जारी कर कहा कि ऐसे आदेश बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। उन्होंने तुरंत इन निर्देशों को वापस लेने की मांग की। संघ ने इसे शिक्षकों के मनोबल को गिराने का प्रयास बताया।
संघ ने उठाए सवाल
प्रवक्ता संघ ने कहा कि उनके शिक्षक वर्षों से सैकड़ों स्कूल संभाल रहे हैं। यह काम वह बिना प्रधानाचार्य और बिना अतिरिक्त आर्थिक लाभ के कर रहे हैं। इसके बावजूद वह बेहतर परीक्षा परिणाम दे रहे हैं।
पुंडीर ने कहा कि यह आदेश शिक्षकों के प्रति अविश्वास दर्शाता है। संघ ने सरकार के हर शिक्षा सुधार का समर्थन किया है। ऐसे में इस तरह के आदेश से शिक्षकों को ठेस पहुंची है।
पदोन्नति की मांग
संघ ने प्रधानाचार्य पदों पर रिक्तियों की ओर ध्यान दिलाया। जिला और तहसील मुख्यालयों के सैकड़ों स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद खाली हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है।
कई प्रवक्ता दशकों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। वे इसी पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। संघ ने तुरंत पदोन्नति के लिए अलग डीपीसी गठित करने की मांग की।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
शिक्षा विभाग ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों के अनुसार यह आदेश कक्षाओं में नियमित शिक्षण सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया था। विभाग का लक्ष्य शिक्षण गतिविधियों की निगरानी करना था।
शिक्षक संगठनों ने इस तरह के आदेशों को पहले भी चुनौती दी है। उनका मानना है कि इससे शिक्षक-विभाग के संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। विश्वास और सम्मान के साथ काम करने की जरूरत है।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
राज्य के विभिन्न जिलों के प्रवक्ताओं ने इस आदेश पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पढ़ाई के दौरान फोटो खींचना शिक्षण प्रक्रिया में बाधक है। इससे कक्षा का माहौल प्रभावित होता है।
शिक्षकों का मानना है कि विभाग को उन पर भरोसा करना चाहिए। वर्षों से वह बिना किसी निगरानी के बेहतर काम कर रहे हैं। उनके काम का मूल्यांकन परिणामों के आधार पर होना चाहिए।
भविष्य की कार्ययोजना
प्रवक्ता संघ ने चेतावनी दी है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो वह आंदोलन करेंगे। संघ की कार्यकारिणी की बैठक जल्द होगी। इसमें भविष्य की रणनीति तय की जाएगी।
संघ ने शिक्षा मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के मनोबल को ऊंचा रखना जरूरी है। इस तरह के आदेशों से शिक्षा व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
