Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने गंभीर वित्तीय दबाव के बीच 350 करोड़ रुपये का नया ऋण लेने का फैसला किया है। वित्त विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इस नए ऋण के साथ ही राज्य का कुल कर्ज बोझ एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह ऋण चार साल की अवधि के लिए लिया जा रहा है और इसकी नीलामी दो दिसंबर को भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से की जाएगी .
सरकार को इस ऋण के लिए केंद्र सरकार से पहले ही अनुमति मिल गई है। संविधान के अनुच्छेद 293(3) के तहत आवश्यक मंजूरी प्राप्त होने के बाद यह प्रक्रिया आगे बढ़ी है . ऋण राशि तीन दिसंबर को राज्य के खजाने में जमा हो जाएगी . इस ऋण को मध्यम अवधि के ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसकी अदायगी तीन दिसंबर 2029 तक की जानी है .
वित्तीय संकट ने लिया बड़ा ऋण
राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में अब तक 7200 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया है, जिससे इस साल की ऋण सीमा पूरी हो गई है . राज्य के वित्तीय तनाव के पीछे मानसूनी तबाही पर भारी खर्च, राजस्व घाटा अनुदान में कमी और जीएसटी मुआवजे की समाप्ति जैसे कारण हैं . हिमाचल का राजस्व घाटा अनुदान 2024-25 के 6,258 करोड़ रुपये से घटकर 2025-26 में 3,257 करोड़ रुपये रह गया है .
नीलामी और भुगतान की तैयारी
भारतीय रिजर्व बैंक दो दिसंबर को अपने ई-कुबेर प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस ऋण की नीलामी करेगा . यह ऋण राज्य सरकार की तत्काल विकासात्मक और प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है . सरकार ने बताया है कि इस राशि का उपयोग जल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में किया जाएगा . ब्याज भुगतान हर साल तीन जून और तीन दिसंबर को देय होगा .
मासिक देनदारियों का बोझ
राज्य सरकार को हर महीने लगभग 2800 करोड़ रुपये की प्रतिबद्ध देनदारियां निपटानी होती हैं . इनमें वेतन भुगतान के लिए 2000 करोड़ रुपये और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है . राज्य के अपने सीमित संसाधनों के कारण सरकार को इन नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ रहा है .
भविष्य की वित्तीय संभावनाएं
सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार 2026 की पहली तिमाही में अतिरिक्त उधारी की अनुमति देगी . अगले वित्तीय वर्ष से 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों के लागू होने से राज्य के वित्त को संरचनात्मक सहायता मिलने की भी उम्मीद है . मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय वित्त मंत्री से राज्य की उधारी सीमा में दो प्रतिशत की वृद्धि करने का अनुरोध भी किया है .
प्राकृतिक आपदाओं का वित्त पर प्रभाव
पिछले तीन वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण राज्य को लगभग 18,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है . इन आपदाओं में 1,321 लोगों की मौत हुई और संसाधनों को भारी क्षति पहुंची . मुख्य बुनियादी ढांचे जैसे सड़कें, पुल और जल आपूर्ति नेटवर्क को हुए नुकसान ने सरकार को आपातकालीन मरम्मत पर महत्वपूर्ण संसाधन खर्च करने के लिए मजबूर किया . इससे राज्य के वित्तीय तनाव में और वृद्धि हुई है।
