Himachal News: हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर बड़ा दावा किया है। सरकार के अनुसार वित्तीय वर्ष में प्रदेश ने 2,776 करोड़ रुपये का रेवेन्यू सरप्लस हासिल किया है। यह हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने इसे आर्थिक अनुशासन और राजस्व सुधारों का परिणाम बताया।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने 2024-25 में यह उपलब्धि हासिल की। पिछली सरकार के समय यह घाटा 762 करोड़ रुपये था। राज्य का कुल ऋण भार घटाकर 31 मार्च 2025 तक 27,764 करोड़ रुपये किया गया है।
वित्तीय सुधारों ने दिखाया असर
सरकार ने रिसोर्स मोबिलाइजेशन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। 2024-25 में सरकार ने 315 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व की व्यवस्था की। सरकार ने 280 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश को भी आकर्षित किया। प्रशासनिक सुधार और वित्तीय नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया गया।
गैर-जरूरी खर्चों पर अंकुश लगाकर 20 फीसदी तक बचत की गई। सरकार ने कर्मचारियों के लिए वेतन और पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया। राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए कई वित्तीय सुधार किए गए। इससे वित्तीय प्रबंधन में सुधार देखने को मिला।
औद्योगिक विकास को बढ़ावा
प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई निवेश नीति-2025 लागू की गई। इसके तहत 315 नए औद्योगिक प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए हैं। इनमें 31 हजार से अधिक रोजगार अवसर सृजित होंगे। इलेक्ट्रॉनिक, पर्यटन और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्रों में बड़े निवेश हुए हैं।
सरकार ने 18 नए औद्योगिक क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है। युवाओं के लिए 250 करोड़ रुपये के स्टार्टअप फंड की स्थापना की गई। युवाओं के कौशल विकास के लिए मोबाइल स्किल लैब्स शुरू की गईं। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
सामाजिक क्षेत्रों में प्रगति
सरकार ने महिलाओं और किसानों के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में 960 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। जाइका से स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए 3 हजार करोड़ की परियोजना स्वीकृत करवाई गई। शिक्षा के लिए 401 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया गया।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में 13 नए अस्पताल ब्लॉक और 50 एम्बुलेंस यूनिट्स जोड़ी गईं। सरकार के तीन वर्षों में पहली बार राजकोषीय संतुलन प्राप्त किया गया। इससे सामाजिक क्षेत्र के विकास को गति मिली है। लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।
डिजिटल पारदर्शिता पर जोर
सुक्खू सरकार ने ई-गवर्नेंस और डिजिटल पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया है। इसके लिए ई-ऑफिस, पेपरलेस सचिवालय और ऑनलाइन ट्रेजरी सिस्टम लागू किए हैं। जनता को सीधे जोड़ने के लिए सीएम लाइव पोर्टल भी शुरू किया गया है। इससे शासन व्यवस्था में पारदर्शिता आई है।
डिजिटल सिस्टम से कामकाज में दक्षता बढ़ी है। लोगों को सेवाएं आसानी से मिल रही हैं। सरकारी प्रक्रियाओं में समय की बचत हुई है। इससे प्रशासनिक सुधारों को गति मिली है। जनता को इसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
आर्थिक संकेतकों में सुधार
राज्य का कुल ऋण भार पहले करीब 31,000 करोड़ रुपये था। इसे घटाकर 27,764 करोड़ रुपये किया गया है। यह वित्तीय प्रबंधन में सुधार का संकेत है। राजस्व सरप्लस से राज्य की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है। इससे भविष्य की विकास परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध हो सकेगा।
सरकार ने वित्तीय अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया है। इससे आर्थिक संकेतकों में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। यह आत्मनिर्भर हिमाचल के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
