Shimla News: हिमाचल प्रदेश के निवासी अब अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल लगवाकर बड़ी सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत 85,800 रुपये तक की वित्तीय सहायता मिल रही है। इस योजना का संचालन हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा किया जा रहा है।
राज्य को पूर्ण हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लक्ष्य में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब तक पूरे प्रदेश में 4,382 सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। इनकी कुल उत्पादन क्षमता 16 मेगावाट तक पहुंच गई है।
योजना की प्रगति और लक्ष्य
हिमाचल प्रदेश सरकार नेवित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इस अवधि में 38,000 घरों में रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने का लक्ष्य है। कुल मिलाकर 90,000 घरों को इस योजना से जोड़ने की योजना बनाई गई है।
योजना की शुरुआत 13 फरवरी 2024 को हुई थी। अब तक सभी जिलों से 10,209 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इन आवेदनों की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 50 मेगावाट होगी। इससे राज्य की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
सब्सिडी का संरचना और वितरण
सोलर पैनल कीक्षमता के आधार पर सब्सिडी की राशि निर्धारित की गई है। एक किलोवाट के प्लांट के लिए 33,000 रुपये की सब्सिडी मिलती है। दो किलोवाट के प्लांट पर 66,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है।
तीन किलोवाट या अधिक क्षमता वाले प्लांट के लिए 85,800 रुपये तक की सब्सिडी उपलब्ध है। अब तक 3,864 लाभार्थियों को 33.34 करोड़ रुपये की सब्सिडी वितरित की जा चुकी है। यह राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरण की जाती है।
पंचायतों को प्रोत्साहन राशि
योजनाको और अधिक बढ़ावा देने के लिए एक अभिनव पहल की गई है। पंचायतों और नगर निकायों को प्रति प्लांट 1,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इससे स्थानीय निकायों को योजना के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी।
राज्य में 187 पंजीकृत विक्रेता काम कर रहे हैं। ये विक्रेता उपभोक्ताओं को संयंत्र स्थापित करने में तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं। बैंक भी कम ब्याज दरों पर ऋृण की सुविधा दे रहे हैं।
लाभार्थियों की categories
योजनाका लाभ सभी श्रेणियाँके नागरिक उठा सकते हैं। नौकरीपेशा व्यक्ति, सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पूरी की जाती है।
लाभार्थियों को मुफ्त बिजली के साथ-साथ अतिरिक्त आय का भी लाभ मिलता है। अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में बेचकर आमदनी की जा सकती है। इससे पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक लाभ दोनों प्राप्त होते हैं।
