Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने हालिया आपदा से सबक लेते हुए भवन निर्माण के नियमों को सख्त कर दिया है। अब नदियों और नालों से एक निश्चित दूरी पर ही निर्माण की अनुमति मिलेगी। नक्शा पास कराने के लिए जरूरी दस्तावेज ततीमे में यह ब्योरा दर्ज करना अनिवार्य होगा।
प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार, अब नदी से कम से कम सात मीटर और नाले से पांच मीटर की दूरी पर ही निजी भवन बनाए जा सकेंगे। सरकारी भवनों और परियोजनाओं के लिए यह दूरी डेढ़ सौ मीटर निर्धारित की गई है। इस नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारी मौका निरीक्षण भी करेंगे।
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि नदी-नालों से उचित दूरी पर ही निर्माण को मंजूरी दी जाएगी। इस संबंध में टीसीपी विभाग को आदेश जारी किए गए हैं। नक्शा पास करने से पहले प्लॉट की इन जलस्रोतों से दूरी का ततीमे में स्पष्ट उल्लेख करना होगा।
इस मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही हुई थी। नदियों और नालों के किनारे बने भवनों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा था। बाढ़ ने निजी और सार्वजनिक दोनों तरह की संपत्ति को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया। पहले नालों से तीन मीटर और नदियों से पांच मीटर की दूरी पर निर्माण की अनुमति थी।
सरकारी भवनों के लिए नई अनिवार्यताएं
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने सरकारी भवनों के निर्माण के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब सरकारी परियोजनाओं के लिए भू-वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है। इस कदम का उद्देश्य भविष्य में होने वाले नुकसान से बचाव करना है।
विधायक निधि से राहत का प्रावधान
आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए विधायक क्षेत्र विकास निधि के नियमों में भी ढील दी गई है। अब विधायक इस निधि का उपयोग प्रभावित परिवारों के घरों को बचाने के लिए रिटेनिंग वॉल बनवाने में कर सकेंगे। इसके साथ ही नालों के चैनलाइजेशन का काम भी इसी बजट से किया जा सकेगा।
योजना विभाग के निर्देशों के अनुसार, विधायक अपनी निधि का दस प्रतिशत तक इस मद में खर्च कर सकते हैं। इसकी अवधि को अगले साल 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। एक विधायक के पास वर्तमान में दो करोड़ दस लाख रुपये की विकास निधि उपलब्ध है।
इन नए प्रावधानों से आपदा प्रबंधन में सुधार की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करना है। यह निर्णय राज्य में बाढ़ से हुई भारी क्षति के बाद लिया गया है।
