Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं की गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को विधानसभा में एक विशेष वक्तव्य में इसकी घोषणा की। यह दर्जा तब तक बना रहेगा जब तक मानसून की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।
आपदा घोषणा के प्रमुख प्रभाव
इस घोषणा के बाद अब राज्य में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधान लागू हो गए हैं। इससे पूरे प्रदेश को आपदा राहत पैकेज का लाभ मिलेगा। सभी विभागों और एजेंसियों को युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधीशों को आपदा की स्थिति में आवश्यक आदेश जारी करने का अधिकार मिला है।
तीन हजार करोड़ से अधिक का नुकसान
मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से अब तक राज्य को 3,056 करोड़ रुपये का प्रारंभिक नुकसान हुआ है। सबसे अधिक क्षति सड़कों, पुलों, पेयजल और बिजली की संरचनाओं को पहुंची है। चंबा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति, मंडी, शिमला, कांगड़ा और हमीरपुर सबसे प्रभावित जिले हैं।
मणिमहेश यात्रियों के बचाव की कार्रवाई
चंबा जिले में मणिमहेश यात्रा पर गए हजारों श्रद्धालु फंस गए थे। अब तक 10,000 यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। शेष यात्रियों के निकासी अभियान जारी हैं। लगभग 500 श्रद्धालु जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं, उन्हें हेलीकॉप्टर से निकाला जाएगा। चंबा-पठानकोट मार्ग को फिर से खोल दिया गया है।
राहत और बचाव कार्यों में तेजी
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा मोचन बल और सेना की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। लाहौल-स्पीति में मोबाइल नेटवर्क बहाल किया गया है और बिजली उत्पादन शुरू हो गया है। वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने राशन और दवाइयां पहुंचाई हैं। पांच मरीजों को हेलीकॉप्टर से कुल्लू लाया गया।
बढ़ाई गई राहत राशि
आपदा प्रभावित घोषित होने से पीड़ितों को मिलने वाली राहत राशि में वृद्धि हुई है। पूरी तरह क्षतिग्रस्त घर के मालिक को अब सात लाख के बजाय सात लाख सत्तर हजार रुपये मिलेंगे। यह राशि पूरे प्रदेश में कहीं भी आपदा से हुए नुकसान पर लागू होगी। सरकार ने सभी विभागों से सेवाएं शीघ्र बहाल करने को कहा है।
