शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: टेनेंसी एक्ट की धारा 118 को लेकर भड़का सियासी तूफान, भाजपा ने बताया राज्यों के हितों से खिलवाड़

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट, 1972 की धारा 118 को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर इसके प्रावधानों को आसान बनाकर अपने सहयोगियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।

भाजपा ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है। वहीं सीपीआई एम ने इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। विपक्ष का कहना है कि सरकार राज्य की संपत्ति को निजी हाथों में सौंपना चाहती है।

पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य की संपत्ति अपने व्यापारिक सहयोगियों को सौंपना चाहते हैं। यह प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

क्या कहते हैं भाजपा नेता

जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के पहले दिन से ही सुक्खू सरकार राज्य की संपत्ति व्यापारिक सहयोगियों को सौंपने को आतुर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भ्रष्ट अधिकारियों और माफियाओं के हाथों की कठपुतली बन गए हैं।

भाजपा नेता ने दावा किया कि माफिया के दबाव में सट्टेबाजी और जुए को वैध बनाने के बाद अब मुख्यमंत्री राज्य के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य की विरासत और सांस्कृतिक संपत्तियों की नीलामी का बीड़ा उठा लिया है।

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ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री धारा 118 के नियमों को सरल बनाने की बात कर रहे हैं। लेकिन उनका रिकॉर्ड बताता है कि उन्होंने हमेशा अपने व्यापारिक मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य के हितों की अनदेखी की है।

क्या कहती है धारा 118

हिमाचल प्रदेश टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट 1972 की धारा 118 राज्य में गैर-किसानों को कृषि भूमि के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाती है। इसका मतलब है कि गैर-किसान कृषि भूमि को बिक्री, उपहार या पट्टे के माध्यम से नहीं खरीद सकते।

इस कानून का उद्देश्य बाहरी लोगों को राज्य की कृषि भूमि अधिग्रहण करने से रोकना है। इससे स्थानीय किसानों और राज्य की कृषि भूमि के हितों की रक्षा होती है। गैर-किसानों को हस्तांतरण केवल सरकार की विशेष अनुमति से ही संभव है।

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अनुमति अक्सर विशिष्ट उद्देश्यों और सीमित अवधि के लिए दी जाती है। शहरी क्षेत्रों में निर्मित संपत्ति और होमस्टे जैसे प्रावधानों के लिए कुछ अपवाद हैं। यह कानून राज्य की कृषि भूमि को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

भाजपा ने इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है। पार्टी का कहना है कि यह राज्य के हितों के साथ खिलवाड़ है। सीपीआई एम ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई है और आंदोलन की तैयारी की चेतावनी दी है।

विपक्ष का मानना है कि धारा 118 में बदलाव से बाहरी तत्वों को राज्य की जमीन हड़पने का मौका मिलेगा। इससे स्थानीय किसानों के हित प्रभावित होंगे। राज्य की कृषि भूमि का संरक्षण खतरे में पड़ जाएगा।

सरकार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार हमले जारी रखे हैं। राजनीतिक गलियारों में इस मामले को लेकर गर्मागर्मी बनी हुई है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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