Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना भारी आर्थिक संकट से जूझ रही है। प्रदेश भर के हजारों बच्चों को अब उधार पर दोपहर का भोजन परोसा जा रहा है। विभाग ने नवंबर महीने से स्कूलों को मिड-डे मील की ग्रांट जारी नहीं की है। बजट की कमी के चलते दुकानदारों ने भी राशन देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे हिमाचल प्रदेश के कई स्कूलों में भोजन व्यवस्था ठप होने के कगार पर है।
शिक्षकों पर बढ़ा आर्थिक बोझ
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में नवंबर से अब तक योजना का एक भी पैसा नहीं आया है। हालात बेहद खराब हो चुके हैं। शिक्षक अपनी जेब से पैसा खर्च कर बच्चों के लिए राशन ला रहे हैं। कुछ जगहों पर स्थानीय दुकानदारों से उधार लेकर काम चलाया जा रहा है। अब दुकानदारों ने भी उधार राशन देने से मना कर दिया है। इससे शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं। बच्चों के निवाले पर संकट गहराता जा रहा है।
चंबा जिले के 1631 स्कूल प्रभावित
मिड-डे मील योजना के तहत प्री-प्राइमरी से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को पौष्टिक भोजन मिलता है। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में ही 1631 स्कूल इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
- 1144 प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल प्रभावित हैं।
- 226 मिडिल स्कूलों में बजट का टोटा है।
- 250 उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में भी यही हाल है।
ग्रांट न मिलने से इन सभी संस्थानों में भोजन वितरण व्यवस्था चरमरा गई है।
जल्द जारी होगा बजट: शिक्षा विभाग
इस गंभीर समस्या पर शिक्षा विभाग ने सफाई दी है। प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक बलवीर सिंह ने कहा है कि मिड-डे मील की ग्रांट जारी हो गई है। इसे एक सप्ताह के भीतर हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में वितरित कर दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि मिड-डे मील के संचालन में अब कोई दिक्कत नहीं आएगी। विभाग जल्द ही स्थिति को सामान्य करने की कोशिश कर रहा है।
