Shimla News: हिमाचल प्रदेश में नए मुख्य सचिव संजय गुप्ता के कार्यभार संभालते ही प्रशासनिक फेरबदल की प्रक्रिया तेज हो गई है। सरकार अब 200 से अधिक अधिकारियों के स्थानांतरण की तैयारी कर रही है। इनमें 35 एसडीएम, 12 उपायुक्त और 150 अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। यह कदम आगामी पंचायतीराज चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है।
मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ ही सरकार ने संकेत दिया है कि दो वर्ष या अधिक समय से एक स्थान पर तैनात अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा। इस नीति के तहत लगभग 70 प्रतिशत अधिकारी प्रभावित होंगे। सरकार का लक्ष्य पंचायत चुनावों से पहले प्रशासनिक व्यवस्था को पूरी तरह से तैयार करना है।
तबादलों की मुख्य वजह
पंचायत चुनावों की घोषणा से पहले प्रशासनिक बदलाव जरूरी माने जा रहे हैं। सरकार चाहती है कि निष्पक्ष और प्रभावी चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके। कई उपमंडलों में एसडीएम दो साल से ज्यादा समय से कार्यरत हैं। इसी तरह कुछ जिलों में उपायुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लंबे समय से जमे हुए हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी सरकार जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियमित तबादले करेगी। प्रदेशभर में 70 प्रतिशत से अधिक अधिकारी तीन साल से अधिक समय से एक ही जगह पर कार्यरत हैं। इससे प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल उठते रहे हैं।
किन जिलों में होगा सबसे अधिक प्रभाव
प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में धर्मशाला, पालमपुर और नगरोटा बगवां के एसडीएम दो साल से ज्यादा समय से कार्यरत हैं। इनके तबादले की संभावना सबसे अधिक है। दूसरे बड़े जिला मंडी के सुंदरनगर और सरकाघाट के एसडीएम भी बदले जा सकते हैं। मंडी के उपायुक्त भी तबादला सूची में बताए जा रहे हैं।
राज्य मुख्यालय शिमला जिला में ठियोग और चौपाल में लंबे समय से तैनात एसडीएम इधर से उधर हो सकते हैं। प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक जिला सोलन के नालागढ़ व अर्की के एसडीएमों का ट्रांसफर लगभग तय माना जा रहा है। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिला ऊना में हरोली और गगरेट उपमंडल के अफसरों का तबादला संभावित है।
चंबा जिले में भी बदलाव की उम्मीद
जिला चंबा के तहत आने वाले दो उपमंडलों भरमौर और तीसा के एसडीएम भी स्थानांतरण सूची में शामिल हैं। सरकार की कोशिश है कि सबसे पहले उन जिलों और उपमंडलों में तबादले किए जाएं जहां अधिकारी तीन साल से अधिक समय से डटे हुए हैं। इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।
नए मुख्य सचिव संजय गुप्ता 1988 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्हें बुधवार को मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। उनके कार्यभार संभालते ही तबादलों की प्रक्रिया को गति मिलने की उम्मीद है। सरकार चाहती है कि पंचायत चुनावों से पहले सभी आवश्यक बदलाव पूरे हो जाएं।
प्रशासनिक सुधारों पर जोर
सरकार का मानना है कि अधिकारियों का फेरबदल कर नई ऊर्जा और पारदर्शिता लाई जा सकती है। इससे प्रशासनिक कार्यक्षमता में सुधार होगा। साथ ही जनता को बेहतर सेवाएं भी मिल सकेंगी। नियमित स्थानांतरण से अधिकारियों के बीच जवाबदेही का भाव भी बढ़ेगा।
पंचायत चुनावों के मद्देनजर यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सरकार चाहती है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वच्छ हो। इसके लिए जरूरी है कि लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात अधिकारियों को बदला जाए। इससे चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
