शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: अत्याधुनिक नशा मुक्ति केंद्र के लिए 5.34 करोड़ मंजूर, जानें क्या बोले मुख्यमंत्री सुक्खू

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Sirmaur News: सिरमौर जिले के कोटला बड़ोग में 100 बिस्तरों वाला एक अत्याधुनिक नशा मुक्ति केंद्र बनने जा रहा है। इस परियोजना के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने 5.34 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। यह केंद्र नशे की लत से जूझ रहे लोगों के उपचार और पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा राज्य के पांच अन्य जिलों में भी नए केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर अंकुज लगाने की एक व्यापक रणनीति अपनाई है। यह रणनीति दो स्तंभों पर केंद्रित है। पहला, युवाओं को नशे से बचाना और दूसरा, नशे की लत में फंसे लोगों का पुनर्वास करना। इसका लक्ष्य प्रभावित युवाओं को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना है।

राज्यव्यापी विस्तार और तैयारी

मंडी, लाहौल-स्पीति, चंबा, सोलन और सिरमौर जिलों में पांच नए नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। दीर्घकालिक योजना के तहत राज्य सरकार नीति आयोग, पीजीआई और स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर एक कार्ययोजना बना रही है। इसका उद्देश्य नशा निवारण और पुनर्वास के लिए एक स्थायी ढांचा तैयार करना है।

स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श और शीघ्र हस्तक्षेप के लिए 108 नए दिशा केंद्र शुरू किए गए हैं। इन केंद्रों पर आशा कार्यकर्ताओं, चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे मरीजों को बेहतर और त्वरित देखभाल मिल सकेगी। यह कदम समुदाय स्तर पर नशामुक्ति को बढ़ावा देगा।

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मौजूदा सुविधाएं और जागरूकता अभियान

वर्तमान में राज्य में कुल्लू, ऊना, हमीरपुर और कांगड़ा में पुरुषों के लिए चार नशामुक्ति केंद्र काम कर रहे हैं। कुल्लू जिले में रे क्रॉस सोसायटी महिलाओं के लिए एक विशेष केंद्र चला रही है। यह केंद्र महिला मरीजों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करता है।

जन जागरूकता के लिए राष्ट्रीय नशा निवारण अभियान चलाया गया है। इस अभियान के तहत 5.76 लाख से अधिक लोगों तक पहुंच बनाई गई है। इसमें 5,660 गांवों और 4,332 शैक्षणिक संस्थानों को शामिल किया गया। किशोरों, युवाओं और महिलाओं पर इस अभियान में विशेष ध्यान दिया गया।

नशा तस्करी के खिलाफ कठोर कानून

राज्य सरकार ने नशीली दवाओं की तस्करी रोकने के लिए सख्त कानून बनाया है। हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक 2025 पारित किया गया है। इस कानून में तस्करी के दोषियों के लिए मृत्युदंड और आजीवन कारावास का प्रावधान है।

इसके अलावा दोषियों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अवैध रूप से अर्जित संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है। यह कानून ड्रग माफिया पर सीधा प्रहार करता है। इससे राज्य में नशीले पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगने की उम्मीद है।

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पुनर्वास के लिए राज्य कोष

हिमाचल प्रदेश मादक पदार्थ एवं नियंत्रित पदार्थ (रोकथाम, नशामुक्ति एवं पुनर्वास) विधेयक 2025 भी लाया गया है। यह विधेयक एक राज्य कोष की स्थापना करता है। इस कोष का उपयोग नशामुक्ति, पुनर्वास, निवारक शिक्षा और आजीविका संबंधी पहलों के लिए किया जाएगा।

यह कानून अवैध नशीली दवाओं के व्यापार में लिप्त लोगों के लिए कठोर दंड का भी प्रावधान करता है। इसका उद्देश्य नशे की आपूर्ति और मांग दोनों पर लगाम लगाना है। सरकार का मानना है कि कानूनी कार्रवाई और पुनर्वास कार्यक्रमों के समन्वय से ही नशे की समस्या का समाधान संभव है।

निगरानी समिति का गठन

नशीले पदार्थों के अवैध निर्माण पर नजर रखने के लिए सरकार ने विशेष निगरानी समिति बनाई है। इस समिति का नेतृत्व उपमंडलाधिकारी करेंगे। इसमें आबकारी, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल होंगे।

यह समिति संहिता संबंधी औपचारिकताओं की निगरानी करेगी। साथ ही यह मादक दवाओं के लाइसेंस रखने वाली दवा कंपनियों के विनियमन पर भी नजर रखेगी। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कानूनी रूप से निर्मित दवाओं का दुरुपयोग न हो सके।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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