शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: पंचायत चुनाव पर 25 करोड़ रुपये का खर्च, आयोग ने पूरी की तैयारी

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस खर्च का आकलन पूरा कर लिया है। यह राशि विभिन्न मदों में खर्च होगी जिसमें कर्मचारियों की ड्यूटी और सरकारी मशीनरी शामिल है। कागज की छपाई और कर्मचारियों के यात्रा भत्ते पर भी खर्च आएगा।

चुनाव परिणाम घोषित होने तक सरकारी कर्मचारी और अधिकारी आयोग के पास डेपुटेशन पर रहेंगे। चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद वे अपने संबंधित विभागों में लौट जाएंगे। आयोग ने चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और अब रोस्टर का इंतजार है।

शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका

आयोग के अनुसार चुनाव में सबसे अधिक ड्यूटियां शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलती हैं। शिक्षकों को भी चुनाव ड्यूटी में शामिल किया जाता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि अधिकांश मतदान केंद्र स्कूलों में स्थापित किए जाते हैं। स्कूलों के भवन चुनाव प्रक्रिया के लिए उपयुक्त स्थान माने जाते हैं।

शिक्षा विभाग के बाद पुलिस और होमगार्ड के जवानों की ड्यूटियां लगाई जाती हैं। इनकी भूमिका चुनाव प्रक्रिया को सुचारू और शांतिपूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण होती है। कर्मचारियों के भोजन और आवास की व्यवस्था आयोग द्वारा की जाती है। सरकार की ओर से इसके लिए धनराशि जारी की जाती है।

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चुनाव खर्च का विवरण

पंचायतीराज चुनावों का पूरा खर्च प्रदेश सरकार को उठाना पड़ता है। 25 करोड़ रुपये की इस राशि में विभिन्न मदों पर खर्च आता है। कर्मचारियों के वेतन और भत्ते मुख्य खर्च में शामिल हैं। चुनाव सामग्री की छपाई और परिवहन पर भी महत्वपूर्ण राशि खर्च होती है।

मतदान केंद्रों की स्थापना और उनके रखरखाव पर भी खर्च आता है। सुरक्षा व्यवस्था और संचार सुविधाओं पर अलग से बजट निर्धारित है। आयोग ने सभी खर्चों का विस्तृत ब्यौरा तैयार कर लिया है। यह बजट सरकार द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।

चुनाव तैयारियों की स्थिति

आयोग पंचायतीराज संस्थाओं के पांच साल के कार्यकाल के समाप्त होने के चार महीने पहले से तैयारियां शुरू कर देता है। इस बार भी आयोग ने समय रहते सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मतदाता सूचियों का अद्यतन कार्य पूरा हो चुका है। चुनाव सामग्री तैयार की जा चुकी है।

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कर्मचारियों की ड्यूटी का आवंटन भी तैयार है। अब आयोग को सिर्फ रोस्टर जारी होने का इंतजार है। रोस्टर जारी होते ही चुनाव प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाएगी। आयोग के पास चुनाव कराने के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं।

डेपुटेशन पर कर्मचारी

चुनाव प्रक्रिया के दौरान सरकारी कर्मचारी और अधिकारी आयोग के पास डेपुटेशन पर रहते हैं। यह अवधि चुनाव परिणाम घोषित होने तक चलती है। इस दौरान ये कर्मचारी अपने मूल विभाग के कार्यों से मुक्त रहते हैं। वे पूरी तरह से चुनाव कार्य में लगे रहते हैं।

चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद सभी कर्मचारी अपने संबंधित विभागों में वापस लौट जाते हैं। आयोग कर्मचारियों के कार्यों का मूल्यांकन करता है। चुनाव ड्यूटी के दौरान कर्मचारियों को विशेष भत्ता भी मिलता है। यह व्यवस्था सुचारू चुनाव प्रक्रिया के लिए जरूरी है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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