Himachal News: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ताजा रिपोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग ने वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमोदन के पांच विश्राम गृह बनाए। इन पर 3.06 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
बिना अनुमोदन के निर्माण
कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विभाग ने बिना पूर्व अनुमोदन और कार्ययोजना के ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया। इन विश्राम गृहों में वीआईपी कमरों सहित आठ कमरे बनाए गए हैं। यह कार्य सीधे तौर पर वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है।
अटल टनल योजना में देरी
रिपोर्ट में अटल टनल रोहतांग से जुड़ी मलबा पुनर्वास योजना का भी जिक्र है। इस योजना को मंजूरी मिलने के 13 साल बाद भी लागू नहीं किया जा सका है। योजना पर 12.09 करोड़ रुपये खर्च होने थे लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
विभागीय लापरवाही के नतीजे
कैग की आपत्तियों से स्पष्ट है कि विभागीय लापरवाही के कारण कानून की अनदेखी हुई। सार्वजनिक धन का सही उपयोग नहीं हो पाया। विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शी ढंग से काम होता तो पर्यटन और पर्यावरण दोनों को फायदा होता।
जवाबदेही तय करने की मांग
रिपोर्ट सार्वजनिक होते ही विपक्ष ने सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की है। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। पर्यावरण प्रेमियों ने चेतावनी दी है कि इससे प्रदेश की पारिस्थितिकी पर बुरा असर पड़ सकता है।
