Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में बन रही भानुपली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन का काम वित्तीय पेंच में फंस गया है। राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपने हिस्से का बजट देने में असमर्थता जताई है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार को राज्य की खराब आर्थिक स्थिति के बारे में बता दिया है। पैसों की कमी के कारण अब यह अहम प्रोजेक्ट पूरी तरह केंद्र के बजट पर निर्भर हो गया है।
कर्ज और आपदा ने बिगाड़ा बजट
हिमाचल प्रदेश सरकार का कहना है कि राज्य का खजाना खाली है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्र को पत्र लिखकर स्थिति साफ कर दी है। सरकार ने तर्क दिया है कि कर्ज के बोझ और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में हो रहे खर्च के कारण उनके पास पैसा नहीं है। कर्मचारियों की देनदारियां और पेंशन भुगतान भी सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में रेल लाइन के लिए बजट देना संभव नहीं है।
सिर्फ 847 करोड़ का हुआ भुगतान
इस रेल परियोजना में हिमाचल प्रदेश सरकार को कुल 2,711 करोड़ रुपये देने थे। इसमें जमीन अधिग्रहण का खर्च भी शामिल है। सरकार ने अब तक केवल 847 करोड़ रुपये ही जमा करवाए हैं। राज्य पर अभी भी करीब 1,863 करोड़ रुपये का बकाया है। 63 किलोमीटर लंबी इस लाइन की लागत अब 11,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। इसमें से लगभग 6,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
सुरक्षा के लिहाज से अहम है प्रोजेक्ट
राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है। सरकार का कहना है कि यह राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा मामला है, इसलिए पूरा खर्च केंद्र उठाए। फिलहाल केंद्र सरकार के पैसे से ही निर्माण कार्य चल रहा है। निर्माण में कई सुरंगें और पुल शामिल होने से लागत लगातार बढ़ रही है। अगर यह विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो काम की रफ्तार धीमी हो सकती है।
