शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश निजी स्कूल: अब पांचवीं-आठवीं में फेल होंगे विद्यार्थी

Share

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के निजी स्कूलों में अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थी भी फेल हो सकेंगे। राज्य सरकार ने केंद्रीय शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी आरटीई एक्ट में संशोधन को निजी स्कूलों पर लागू कर दिया है। इससे पहले यह नियम केवल सरकारी स्कूलों में लागू था। शीतकालीन स्कूलों में दिसंबर 2025 की परीक्षाओं से यह व्यवस्था प्रभावी होगी।

यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा दिसंबर 2024 में आरटीई एक्ट 2009 में किए गए संशोधन के बाद लिया गया है। संशोधित नियम के तहत अब निजी स्कूल भी परीक्षा में कम अंक लाने वाले विद्यार्थियों को रोक सकेंगे। इससे पहले नो डिटेंशन की नीति के चलते विद्यार्थियों को आठवीं कक्षा तक फेल नहीं किया जाता था।

हिमाचल प्रदेश के स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिला अधिकारियों को आधिकारिक पत्र जारी कर दिया है। निदेशक स्कूल शिक्षा आशीष कोहली द्वारा जारी इस पत्र में नई परीक्षा व्यवस्था का विवरण दिया गया है। ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले स्कूलों में यह नियम मई 2025 की परीक्षाओं से लागू होगा।

विद्यार्थियों को पास होने के लिए दो शर्तों को पूरा करना अनिवार्य होगा। पहली शर्त यह है कि उन्हें वार्षिक परीक्षा में कम से कम तैंतीस प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। दूसरी शर्त यह है कि एसए-1 और एसए-2 दोनों आंतरिक मूल्यांकन में भी हर विषय में तैंतीस प्रतिशत अंक जरूरी हैं।

यह भी पढ़ें:  अटल सुरंग: सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पानी रिसने का वीडियो, लोगों ने उठाए सवाल

दूसरा मौका मिलेगा असफल विद्यार्थियों को

नई व्यवस्थाके तहत यदि कोई विद्यार्थी पहली बार परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होता है तो उसे दूसरा अवसर दिया जाएगा। स्कूल ऐसे विद्यार्थियों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित करेंगे। यह परीक्षा मुख्य परीक्षा के कुछ समय बाद ही ली जाएगी। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को सुधार का मौका देना है।

हालांकि, यदि दूसरी बार भी विद्यार्थी परीक्षा में आवश्यक अंक प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसे फेल कर दिया जाएगा। ऐसे में उस विद्यार्थी को उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा। इस नीति का उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार लाना और विद्यार्थियों में गंभीरता पैदा करना बताया जा रहा है।

इस बदलाव का असर राज्य के हजारों निजी स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा। अभिभावकों और शिक्षकों के बीच इस निर्णय पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ का मानना है कि इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति लापरवाही की प्रवृत्ति खत्म होगी।

सरकारी स्कूलों में पहले से लागू था नियम

हिमाचल प्रदेश केसरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था पिछले वर्ष से ही लागू है। अब राज्य सरकार ने इसे निजी स्कूलों तक विस्तारित करने का निर्णय लिया है। इससे राज्य के सभी स्कूलों में एक समान मूल्यांकन प्रक्रिया स्थापित होगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी।

यह भी पढ़ें:  चंबा: बुजुर्ग महिला के साथ जबरन दुष्कर्म करने के बाद की थी निर्मम हत्या, एक आरोपी गिरफ्तार

निजी स्कूल अब अपने यहां परीक्षा आयोजित करने और परिणाम घोषित करने की इस नई प्रक्रिया के लिए तैयारी कर रहे हैं। स्कूल प्रबंधनों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विद्यार्थियों और अभिभावकों को इस बदलाव से अवगत कराएं। इससे आने वाले शैक्षणिक सत्र में किसी भी तरह की असमंजस की स्थिति न बने।

शिक्षाविदों का कहना है कि केवल फेल करने का नियम ही पर्याप्त नहीं है। उनका सुझाव है कि कमजोर विद्यार्थियों की पहचान कर उन्हें विशेष शिक्षण सहायता भी प्रदान की जानी चाहिए। इससे विद्यार्थियों को सुधार का वास्तविक अवसर मिल सकेगा और वे दोबारा परीक्षा में सफल हो सकेंगे।

इस निर्णय के बाद अब अभिभावकों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देना होगा। बच्चों की नियमित पढ़ाई और होमवर्क पर नजर रखनी होगी। शिक्षक भी अब विद्यार्थियों के प्रदर्शन पर अधिक गंभीरता से काम करेंगे। इससे शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार आने की उम्मीद है।

Read more

Related News