शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: आपातकालीन कैदी पेंशन योजना को राष्ट्रपति की मंजूरी, दो साल बाद निरस्त हुआ यह कानून

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Himachal News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हिमाचल प्रदेश सरकार के लोकतंत्र प्रहरी सम्मान अधिनियम को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा आपातकाल के दौरान जेल में बंद रहे लोगों को पेंशन देने के लिए बनाए गए कानून को रद्द करता है। इस मंजूरी के साथ ही दो साल से लंबित कानूनी प्रक्रिया का अंत हो गया है और अब राज्य में 105 लाभार्थियों को मिल रही पेंशन स्थायी रूप से बंद हो जाएगी।

पूर्व भाजपा सरकार ने 21 मार्च 2021 को यह अधिनियम पारित किया था। इसके तहत आपातकाल में 15 दिन से कम जेल में रहने वालों को 12,000 रुपये और अधिक समय तक जेल में रहने वालों को 20,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती थी। लाभार्थियों के परिवारों को भी पारिवारिक पेंशन का प्रावधान शामिल था। इस योजना पर पहले ही राज्य सरकार और राजभवन के बीच लंबे पत्राचार का दौर चला था।

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वर्तमान कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही तीन अप्रैल 2023 को इस अधिनियम को निरस्त करने वाला विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया। राज्यपाल ने इस विधेयक पर तुरंत मंजूरी नहीं दी और इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। इस बीच हाई कोर्ट ने भी विधेयक के अंतिम होने तक पेंशन रोकने को गलत बताया था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब यह विधेयक पूरी तरह से लागू हो गया है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधायक रहते हुए इस अधिनियम का जमकर विरोध किया था। उन्होंने इसे बिना सोचे-समझे बनाया गया बताया था। सुक्खू ने आरोप लगाया था कि भाजपा इसके जरिए अपनी विचारधारा के लोगों को लाभ पहुंचाना चाहती है। विधेयक के विरोध में मुकेश अग्निहोत्री और विक्रमादित्य सिंह ने भी अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं।

तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस अधिनियम का पुरजोर बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि आपातकाल पर इतना कुछ बोला जा सकता है कि कांग्रेस सुन नहीं पाएगी। उनका मानना था कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों को सम्मानित करना राज्य का दायित्व है। इस योजना के तहत राज्य के लगभग 105 लोगों को पेंशन मिलनी शुरू हो गई थी।

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राज्य सरकार और राजभवन के बीच यह मामला लंबे समय तक अटका रहा। राजभवन ने पहले इस विधेयक पर आपत्ति जताई और फिर इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। इस पूरी प्रक्रिया में दो साल का समय लग गया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह मामला पूरी तरह से सुलझ गया है।

इस निर्णय के बाद अब हिमाचल प्रदेश में आपातकालीन कैदियों को मिलने वाली पेंशन पूर्णतः बंद हो जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना को बंद करने के लिए संसदीय प्रक्रिया का सफलतापूर्वक पालन किया है। यह मामला राज्य की राजनीतिक विचारधाराओं के बीच मौलिक अंतर को clearly दर्शाता है।

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