Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। चुनाव प्रक्रिया के चार चरणों में से पहला चरण वार्ड बंदी का कार्य पूरा हो चुका है। अब दूसरे चरण में मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 13 नवंबर को किया जाएगा। इसके बाद ही चुनाव की आधिकारिक घोषणा संभव हो पाएगी।
राज्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि सरकार का सहयोग मिलने पर पंचायत चुनाव समय पर ही संपन्न कराए जाएंगे। आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं और सभी प्रक्रियाएं समयसीमा में पूरी की जा रही हैं।
मतदाता सूचियों को अद्यतन करने का कार्य भी जारी है। प्रदेश में लगभग 56 लाख मतदाता ड्राफ्ट रोल में शामिल हैं। इन सूचियों में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया चल रही है। एक अक्टूबर तक 18 वर्ष पूरे कर चुके नागरिक मतदाता सूची में नामांकन करा सकते हैं।
चुनाव तिथि निर्धारण की प्रक्रिया
चुनाव की तिथि निर्धारित करने से पहले कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाएगा। लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग से सड़कों और आपदा की स्थिति की रिपोर्ट मांगी गई है। इन रिपोर्टों के आधार पर ही अगले कदम उठाए जाएंगे।
अगले दो चरणों में आरक्षण रोस्टर तैयार किया जाएगा। जिला और सहायक निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित की जाएंगी। सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के बाद ही चुनाव की तिथि की घोषणा की जाएगी। यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी की जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग जिला उपायुक्तों और एसडीएम के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया को संपन्न कराता है। स्कूलों में मतदान केंद्र स्थापित किए जाते हैं। शिक्षकों, पंचायत सचिवों और पटवारियों की सेवाएं चुनाव कार्य में ली जाती हैं।
जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल
लाहुल स्पीति जिले में अप्रैल में चुने गए जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अन्य जिलों में जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल जनवरी में समाप्त होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए चुनाव प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
पंचायत चुनाव समय पर कराने के लिए स्कूली परीक्षाओं का कार्यक्रम भी बदला गया है। परीक्षाएं 15 दिसंबर से पहले आयोजित की जाएंगी। इससे चुनाव प्रक्रिया में स्कूलों के उपयोग में कोई बाधा नहीं आएगी। सभी विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है।
पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव कराने में 15 से 18 करोड़ रुपये का खर्च आता है। सबसे अधिक व्यय मतपत्र छापने पर होता है। चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को दी जाने वाली राशि भी इसी खर्च में शामिल है। राज्य सरकार ने इसके लिए बजट की व्यवस्था कर ली है।
