शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: भूमि कानून की धारा 118 को लेकर भड़का सियासी तूफान, सुक्खू सरकार घेरे में

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में भूमि सुधार कानून की धारा 118 को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर आरोप लगाया है कि वह इसके प्रावधानों को आसान बनाकर अपने सहयोगियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है। धारा 118 राज्य में गैर-किसानों को कृषि भूमि के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाती है। सरकार द्वारा इसके प्रावधानों में ढील दिए जाने की चर्चा के बाद से ही राज्य में सियासी गर्माहट बढ़ गई है।

विपक्ष का हमला

बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री राज्य की संपत्ति अपने व्यापारिक सहयोगियों को सौंपना चाहते हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया।

ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आने के पहले दिन से ही सुक्खू सरकार राज्य की संपत्ति व्यापारिक हितों को सौंपने पर आमादा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर भ्रष्ट अधिकारियों और माफियाओं की कठपुतली बनने का आरोप लगाया। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।

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सीपीआईएम की चेतावनी

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। पार्टी की हिमाचल प्रदेश समिति ने स्पष्ट चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार संशोधन पर आगे बढ़ती है तो वह जन आंदोलन शुरू करेगी।

सीपीआईएम का मानना है कि यह संशोधन स्थानीय किसानों के हितों के खिलाफ है। पार्टी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने सरकार से इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है।

धारा 118 का महत्व

हिमाचल प्रदेश टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट 1972 की धारा 118 राज्य में कृषि भूमि के हस्तांतरण को नियंत्रित करती है। यह गैर-किसानों को कृषि भूमि की खरीद, उपहार या पट्टे पर रखने से रोकती है। इसका मुख्य उद्देश्य स्थानीय किसानों और कृषि भूमि के हितों की रक्षा करना है।

कानून के तहत गैर-किसानों को भूमि हस्तांतरण केवल सरकारी अनुमति से ही संभव है। यह अनुमति विशिष्ट उद्देश्यों और सीमित अवधि के लिए दी जाती है। शहरी क्षेत्रों में निर्मित संपत्ति और होमस्टे जैसे प्रावधानों के लिए अपवाद हैं।

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हस्तांतरण पर प्रतिबंध

यह कानून भूमि हस्तांतरण के विभिन्न तरीकों को प्रतिबंधित करता है। इसमें बिक्री, उपहार, विनिमय, पट्टा और बंधक जैसे सभी रूप शामिल हैं। इसका उद्देश्य बाहरी लोगों द्वारा राज्य की कृषि भूमि के अधिग्रहण को रोकना है।

कानून स्थानीय किसानों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह राज्य की कृषि भूमि को बाहरी हितों से बचाता है। सरकार विशेष परिस्थितियों में ही हस्तांतरण की अनुमति दे सकती है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। किसान संगठन भी इस संशोधन के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। उनका मानना है कि इससे स्थानीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में और गर्मा सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। इस मामले ने राज्य की राजनीति को नई दिशा दे दी है।

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