Himachal News: हिमाचल प्रदेश पुलिस विभागीय प्रोन्नति परीक्षा में बड़ी तकनीकी खामियां सामने आई हैं। इसके चलते परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सरकार पर नौकरियां न देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार की व्यवस्था पूरी तरह विफल रही। चार हजार से अधिक अभ्यर्थियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार नौकरियां देने के मामले में गंभीर नहीं है। पुलिस प्रोन्नति परीक्षा में हुई गड़बड़ी इसका सबूत है। अभ्यर्थी छह घंटे तक परीक्षा केंद्रों में फंसे रहे। कई केंद्रों पर मेन सर्वर से कनेक्शन नहीं हो पाया। कहीं उत्तर सबमिट नहीं हो रहे थे तो कहीं प्रश्नों के गलत विकल्प दिख रहे थे।
परीक्षा के दौरान कई तरह की अनियमितताएं देखने को मिलीं। अलग-अलग केंद्रों पर प्रश्नों की संख्या और परीक्षा की अवधि में भिन्नता थी। कुछ अभ्यर्थियों को दोनों पालियों में परीक्षा देनी पड़ी। इससे पूरे प्रकरण में अराजकता की स्थिति बनी रही।
जयराम ठाकुर ने सरकार के प्रबंधन पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिना ट्रायल रन के ही परीक्षा आयोजित करवाई गई। यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। परीक्षा में शामिल होने वाले कई अभ्यर्थी अपने छोटे बच्चों के साथ आए थे। उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।
विपक्ष के नेता ने सरकार के रोजगार के वादों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जो सरकार चार हजार लोगों की प्रोन्नति परीक्षा नहीं करवा सकती, वह एक लाख नौकरियां कैसे देगी। उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा युवाओं को रोजगार देना नहीं है।
जयराम ठाकुर ने कर्मचारी चयन आयोग को भंग करने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक द्वेष के कारण आयोग को भंग किया गया। इससे युवाओं को रोजगार से वंचित रखने की साजिश की जा रही है। सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
परीक्षा में हुई गड़बड़ियों के बाद अभ्यर्थियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रशासन ने आनन-फानन में परीक्षा स्थगित करने का फैसला लिया। यह घटना सरकारी परीक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत को रेखांकित करती है।
यह पहली बार नहीं है जब सरकार द्वारा आयोजित परीक्षा पर सवाल उठे हैं। पिछले कुछ समय से हिमाचल प्रदेश में सरकारी परीक्षाओं को लेकर विवाद बने हुए हैं। अभ्यर्थियों का मानना है कि परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की कमी है।
पुलिस प्रोन्नति परीक्षा में हुई गड़बड़ियों ने सरकार के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। विपक्ष इस मुद्दे को जोरशोर से उठा रहा है। अभ्यर्थी अब नई तारीख का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि अगली बार परीक्षा बेहतर ढंग से आयोजित होगी।
