Himachal News: हिमाचल प्रदेश के पांगी इलाके से बेहद शर्मनाक तस्वीरें सामने आई हैं. यहां पवित्र चंद्रभागा नदी में खुलेआम कचरा डाला जा रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि यह क्षेत्र वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी का हिस्सा है. इसके बाद भी हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं. प्रशासन की नाक के नीचे नदी को डंपिंग यार्ड बना दिया गया है. यह लापरवाही न केवल प्रकृति बल्कि आस्था पर भी भारी चोट है.
हर दिन निकलता है हजारों टन कचरा
आंकड़े डराने वाले हैं. हिमाचल प्रदेश में हर रोज 1,000 टन से ज्यादा ठोस कचरा पैदा होता है. इसमें प्लास्टिक की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. कई रिसर्च में सामने आया है कि पहाड़ी राज्यों में कचरे का सही निपटान नहीं हो रहा है. नतीजतन, 30 से 40 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा सीधा नदियों में पहुंच जाता है. यह गंदगी पानी के बहाव के साथ आगे बढ़ती है.
पूरे देश के लिए बज गई खतरे की घंटी
पहाड़ों से शुरू हुआ यह प्रदूषण सिर्फ हिमाचल प्रदेश तक सीमित नहीं रहता. नदियों का पानी दूषित होकर मैदानी इलाकों में पहुंचता है. यह जहरीला पानी खेती और मिट्टी को बर्बाद कर रहा है. अब यह माइक्रोप्लास्टिक के जरिए इंसानों की फूड चेन में भी घुस चुका है. जलीय जीवों और जंगली जानवरों की जान पर भी बन आई है. यह लापरवाही आने वाली पीढ़ियों के लिए जहर बो रही है.
पवित्र नदी का अपमान, सिस्टम खामोश
स्थानीय लोग चंद्रभागा नदी को पूजते हैं. इसमें गंदगी डालना उनकी आस्था का अपमान है. लोगों का कहना है कि यह सिर्फ प्रदूषण नहीं, बल्कि संस्कृति का विनाश है. जनता ने कई बार प्रशासन को चेताया है. सोशल मीडिया पर विरोध भी हुआ. इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश का प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
जिम्मेदारों पर तुरंत कार्रवाई की मांग
पर्यावरण प्रेमी सिस्टम पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. आखिर वाइल्डलाइफ जोन में कचरा कैसे फेंका जा रहा है? स्थानीय लोग अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं. उनकी मांग है कि कचरा फेंकने वालों पर सख्त एक्शन हो. दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए. पहाड़ी इलाकों के लिए एक मजबूत वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की सख्त जरूरत है.
