Karsog News: पीएम श्री गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल करसोग ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विद्यालय ने सरस 6.0 पोर्टल पर सफलतापूर्वक पंजीकरण और लॉगिन प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसके साथ ही अनिवार्य भाग-ए का कार्य भी सम्पन्न हो गया है। यह सभी प्रक्रियाएं सीबीएसई में परिवर्तन के लिए आवश्यक हैं।
इस सफलता के साथ ही यह विद्यालय राज्य का पहला सरकारी स्कूल बन गया है। राज्य सरकार द्वारा चयनित सौ स्कूलों में से करसोग ने यह मुकाम हासिल किया है। स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने प्रधानाचार्य और पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण चरण को समय पर पूरा करने की सराहना की।
सीबीएसई करेगा दस्तावेजों की जांच
अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यदि सभी दस्तावेज नियमों के अनुरूप पाए जाते हैं तो विद्यालय को अस्थायी संबद्धता संख्या प्रदान की जाएगी। इस संबद्धता से विद्यालय का शैक्षणिक स्तर और बेहतर होगा। छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली का लाभ मिलेगा।
यह उपलब्धि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विद्यालय की प्रतिबद्धता को इससे बल मिलेगा। नियामकीय अनुपालन के मामले में भी यह स्कूल अग्रणी भूमिका निभाएगा। आने वाले दिनों में अन्य स्कूलों के लिए भी मार्गदर्शन उपलब्ध होगा।
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना
राज्य सरकार ने इसी शैक्षणिक सत्र में सौ सरकारी स्कूलों को सीबीएसई में बदलने का निर्णय लिया है। हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड से सीबीएसई में परिवर्तन की यह प्रक्रिया चल रही है। करसोग स्कूल की सफलता से अन्य स्कूलों को प्रेरणा मिलेगी। सभी स्कूल इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
शीघ्र ही सरस 6.0 पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया साझा की जाएगी। अन्य विद्यालय और हितधारक इससे लाभान्वित होंगे। शिक्षा विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। सभी स्कूलों को तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है।
शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की दिशा में कदम
सीबीएसई संबद्धता से विद्यालयों के शैक्षणिक स्तर में सुधार आएगा। छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिलेगा। पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रणाली में भी सुधार होगा। इससे छात्रों का राष्ट्रीय स्तर पर विकास संभव हो सकेगा।
शिक्षकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा। आधुनिक शिक्षण विधियों को अपनाने में मदद मिलेगी। विद्यालय का बुनियादी ढांचा भी उन्नत होगा। संसाधनों की उपलब्धता बढ़ने से शिक्षण प्रक्रिया और प्रभावी होगी।
