शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: नियमों की अवहेलना करने वाली फार्मा कंपनी का लाइसेंस रद्द, जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ पर शिकंजा

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश दवा नियंत्रण प्रशासन ने बद्दी स्थित एक फार्मा कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया है। कंपनी पर मार्च में जारी उत्पादन रोकने के आदेश की अवहेलना कर चोरी-छिपे दवा बनाने का आरोप है। यह कार्रवाई राजस्थान से मिली एक दवा की खराब गुणवत्ता की रिपोर्ट के बाद की गई। कंपनी अब किसी भी दवा का निर्माण या बिक्री नहीं कर सकेगी।

नवंबर में हुई औचक जांच में यूनिट की मशीनें चालू अवस्था में मिलीं। जांच दल ने कच्चा माल और तैयार दवाएं जब्त कीं। पुष्टि हुई कि कंपनी ने पाबंदी के आदेश को नजरअंदाज कर उत्पादन जारी रखा था। इस गंभीर अनियमितता के बाद प्रशासन ने कंपनी का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला लिया।

गुणवत्ता मानकों में चूक का पर्दाफाश

मामले की शुरुआत राजस्थान दवा नियंत्रण प्रशासन की एक रिपोर्ट से हुई। रिपोर्ट में ‘लेवोसेटिरीजीन टैबलेट्स’ के नमूने sub-standard पाए गए। यह दवा श्विनसेट.एल ब्रांड के नाम से बाजार में बिक रही थी। जांच में पता चला कि इस दवा का निर्माण बद्दी की इसी फार्मा कंपनी ने किया था।

इस रिपोर्ट के बाद हिमाचल प्रदेश का दवा विभाग सतर्क हुआ। विभाग ने यूनिट की पिछली गतिविधियों की जांच शुरू की। तब पता चला कि कंपनी पर पहले से ही उत्पादन रोकने का आदेश लागू था। इसके बावजूद वह गुप्त रूप से काम कर रही थी।

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नियामक आदेशों की खुली अवहेलना

कंपनी को 29 मार्च, 2025 को ही उत्पादन बंद करने का आदेश मिल चुका था। यह आदेश पहले से ही गुणवत्ता मानकों का पालन न करने के कारण जारी किया गया था। लेकिन कंपनी ने इस आदेश को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

विभाग ने कंपनी को एक शोकॉज नोटिस भी जारी किया था। इस नोटिस में कंपनी से जवाब मांगा गया था। लेकिन कंपनी का दिया गया जवाब विभाग को संतोषजनक नहीं लगा। इसके बाद लाइसेंस रद्द करने का अंतिम फैसला लिया गया।

बाजार से वापस बुलाए जाएंगे उत्पाद

लाइसेंस रद्द होने के बाद कंपनी के सभी उत्पाद अनुमोदन भी समाप्त कर दिए गए हैं। विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि कंपनी द्वारा निर्मित सभी दवाओं को बाजार से तुरंत वापस बुलाया जाए। इस रिकॉल प्रक्रिया पर नजर रखने की जिम्मेदारी ड्रग इंस्पेक्टर बद्दी को दी गई है।

यह कदम जनस्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। दवा उद्योग में गुणवत्ता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खराब गुणवत्ता की दवाएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं।

दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का इरादा

हिमाचल प्रदेश दवा नियंत्रण प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए दवा एवं प्रसाधन अधिनियम 1940 के तहत अभियोजन शुरू किया जाएगा। यह कदम भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है।

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राज्य औषधि नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने बताया कि विभाग ने जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि जनस्वास्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। यह फैसला राज्य के सभी फार्मा उद्योगों के लिए एक सबक है।

अन्य संदिग्ध इकाइयों पर बढ़ाई गई नजर

इस घटना के बाद विभाग ने अन्य फार्मा इकाइयों पर निगरानी बढ़ा दी है। औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में संदिग्ध इकाइयों की सघन सैंपलिंग की योजना है। संयुक्त निरीक्षण दल भी गठित किए जा सकते हैं।

इस कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि गुणवत्ता और वैधानिक अनुशासन से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य का फार्मा उद्योग देश भर में दवाओं की आपूर्ति में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में गुणवत्ता नियंत्रण पर सख्ती जरूरी है।

सहायक औषधि नियंत्रक डॉ. कमलेश नाइक ने यूनिट के लाइसेंस रद्द करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह फैसला नियामक ढांचे की शक्ति और जनस्वास्थ्य के प्रति प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भविष्य में ऐसी किसी भी गलत प्रथा पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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