Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव में हो रही देरी का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। एक एडवोकेट ने जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में अनिश्चितकाल तक चुनाव टालने की सरकारी मंशा को चुनौती दी गई है। आज इस मामले पर उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उन्होंने पूरे प्रदेश में तय समय पर पंचायती राज चुनाव कराने के निर्देश देने की मांग की है। याचिका में राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया गया है।
सरकार के कदमों पर उठे सवाल
मुख्य सचिव ने 8 अक्टूबर को डिजास्टर एक्ट का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि आपदा से हालात सामान्य होने के बाद ही चुनाव होंगे। इसके बाद कैबिनेट ने चुनाव घोषणा से कुछ दिन पहले पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला लिया।
जिला अधिकारियों ने मतदाता सूची बनाने का काम पूरा कर लिया है। लेकिन मतदाता सूची की प्रकाशन रोक दी गई है। इससे पंचायत चुनावों पर संशय की स्थिति बन गई है।
याचिका में क्या आरोप
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान के तहत तय समय सीमा में चुनाव करवाने की कोई तैयारी नहीं की। आपदा कानून का गलत इस्तेमाल कर चुनावों को टाला जा रहा है।
याचिकाकर्ता का मानना है कि सरकार जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में देरी कर रही है। पंचायतों के पुनर्गठन का फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो रही है।
चुनाव प्रक्रिया की वर्तमान स्थिति
मतदाता सूची तैयार होने के बावजूद उसे प्रकाशित नहीं किया गया है। इससे चुनाव प्रक्रिया रुकी हुई है। पंचायतों के पुनर्गठन के फैसले ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
सरकार का कहना है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत चुनाव टालना जरूरी है। लेकिन याचिकाकर्ता का मानना है कि यह दलील वाजिब नहीं है। प्रदेश की स्थिति चुनाव कराने के लिए अनुकूल है।
आज होगी महत्वपूर्ण सुनवाई
आज उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होनी है। न्यायालय का फैसला पंचायत चुनावों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय अपना आदेश पारित करेगा।
यह मामला लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संवैधानिक दायित्वों से जुड़ा हुआ है। न्यायालय का निर्णय सरकार की शक्तियों और जनता के अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करेगा। पूरे प्रदेश की नजरें आज की सुनवाई पर टिकी हैं।
