Himachal News: हिमाचल प्रदेश ने वित्तीय अनुशासन के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में केवल 7.4 प्रतिशत लोग ही बैंक ऋण लेते हैं। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत 14.7 प्रतिशत से काफी कम है। राज्य की नब्बे प्रतिशत वयस्क आबादी के पास बैंक खाते हैं।
प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय औसत से आगे है। वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 2,57,212 रुपये अनुमानित है। राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 2,34,859 रुपये है। उच्च आय के कारण लोगों में कर्ज लेने की प्रवृत्ति कम देखी गई है।
विशेषज्ञों का विश्लेषण
हिमाचल विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एनके विष्ट ने इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोग अपनी कमाई से ही खर्च पूरा करते हैं। कर्ज पर निर्भरता यहां कम देखने को मिलती है। स्थिर आय के साधन और सरकारी नौकरियां आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
प्रोफेसर विष्ट के अनुसार हिमाचली दिखावे पर खर्च नहीं करते। यह बात उनकी वित्तीय समझदारी को दर्शाती है। उच्च शिक्षा और पर्यटन उद्योग के लिए अवश्य ऋण लिया जाता है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां ऋण लेने की प्रवृत्ति काफी कम है।
तुलनात्मक आंकड़े
पड़ोसी राज्यों के आंकड़े इस अंतर को स्पष्ट करते हैं। जम्मू-कश्मीर में 91 प्रतिशत वयस्कों के पास बैंक खाते हैं। वहां 9.7 प्रतिशत लोग बैंक ऋण लेते हैं। पंजाब में 95 प्रतिशत वयस्कों के बैंक खाते हैं। लेकिन वहां 27 प्रतिशत लोग कर्ज लेते हैं।
हिमाचल में बैंकिंग नेटवर्क की पहुंच उल्लेखनीय है। वित्तीय साक्षरता के उच्च स्तर के कारण लोग बचत को प्राथमिकता देते हैं। अधिकांश परिवार अपनी आय और बचत से जरूरतें पूरी करते हैं। यह आदत उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाती है।
बैंकिंग क्षेत्र के लिए चुनौती
कम कर्ज लेने की प्रवृत्ति बैंकों के लिए चुनौती पेश करती है। बैंकिंग क्षेत्र को ऋण उत्पादों को और आकर्षक बनाना होगा। उपभोक्ताओं तक बेहतर ढंग से पहुंच स्थापित करनी होगी। क्रेडिट ऑफ-टेक बढ़ाने के लिए नए प्रयास करने होंगे।
स्टार्टअप और स्व-रोजगार योजनाओं को बढ़ावा देना जरूरी है। महिला उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर ऋण वितरण बढ़ाया जा सकता है। आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के लिए नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। बैंक इस दिशा में नए उत्पाद विकसित कर रहे हैं।
