Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पेंशनर्स शुक्रवार को सड़कों पर उतर आए। राज्यभर के जिला मुख्यालयों पर उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन पेंशन और डीए के अरेयर्स न मिलने से उपजे गुस्से के चलते हुआ। शिमला के मॉल रोड स्थित डीसी कार्यालय के सामने सीटीओ चौक पर पेंशनर्स ने रोष मार्च निकाला। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की।
प्रदर्शनकारी पेंशनर्स ने “डीए चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे लगाए। यह प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश पेंशनर्स संयुक्त संघर्ष समिति के बुलावे पर हुआ। पेंशनर्स का कहना है कि सरकार उनका हक मार रही है। उन्हें समय पर अपनी पेंशन और दूसरे वित्तीय लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। इससे उनके सामने गुजर-बसर का संकट पैदा हो गया है।
वित्तीय लाभों में देरी से नाराजगी
पेंशनर्स के गुस्से की मुख्य वजह एक जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच रिटायर हुए कर्मचारियों को संशोधित वित्तीय लाभों का न मिलना है। इनमें कम्युटेशन, लीव एनकैशमेंट और ग्रेच्युटी जैसे भुगतान शामिल हैं। महंगाई भत्ते का बकाया भी उन्हें अब तक नहीं मिला है। यह देरी उनकी आर्थिक मुश्किलों को बढ़ा रही है।
लोक निर्माण विभाग से रिटायर राम सिंह ने बताया कि पुलिस ने कई पेंशनर्स को प्रदर्शन स्थल तक पहुंचने से रोक दिया। उन्होंने कहा कि संजौली और अन्य जगहों पर पेंशनर्स को रोका गया। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस भी उनके साथ हमदर्दी रखती है। आने वाले समय में रिटायर होने वालों की भी यही हालत होगी।
पेंशनर्स की मुश्किलें
सुन्नी से आई मृदुला शर्मा ने कहा कि उन्हें उनका पैसा समय पर नहीं मिल रहा है। उन्होंने बताया कि 2016 से 2022 के बीच रिटायर हुए लोगों को लीव एनकैशमेंट से लेकर ग्रेच्युटी तक का पैसा नहीं मिला। कई पेंशनर्स को महज दस हजार रुपये ही पेंशन के तौर पर मिल पा रहे हैं। ऐसे में उनका गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है।
एक महिला पेंशनर ने कहा कि वे भीख नहीं मांग रही हैं, बल्कि अपना हक मांग रही हैं। वह पशुपालन विभाग से रिटायर हुई हैं। वन विभाग से रिटायर एक शख्स ने कहा कि वे नया पैसा नहीं मांग रहे हैं। उनका बकाया का डीए चार फीसदी के हिसाब से मिलना चाहिए था, लेकिन सरकार ने केवल तीन फीसदी ही दिया। एक अन्य पेंशनर ने कहा कि उनकी उम्र अब सड़कों पर उतरने की नहीं है।
राज्यव्यापी प्रदर्शन
बिलासपुर में भी पेंशनर्स ने संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक चेत राम वर्मा के नेतृत्व में रैली और धरना प्रदर्शन किया। इससे साफ है कि पेंशनर्स का गुस्सा पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। उनकी मांग है कि सरकार तुरंत उनसे बातचीत करे और उनके बकाया का भुगतान जल्द से जल्द करे। यह स्थिति राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
पेंशनर्स का कहना है कि आर्थिक संकट के नाम पर सरकार उनके हक की रकम रोक रही है। यह रकम उनकी सेवा के दौरान जमा की गई थी। सरकार को उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए। उनके बिना किसी देरी के भुगतान की व्यवस्था करनी चाहिए। इस मामले में सरकार की चुप्पी पेंशनर्स के गुस्से को और बढ़ा रही है।
