Himachal News: शिमला के निकट जुन्गा क्षेत्र में हाल ही में आयोजित पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल के दौरान एक पायलट गंभीर दुर्घटना से बच गया। यह कोई अकेली घटना नहीं है क्योंकि हर वर्ष पैराग्लाइडिंग से जुड़ी दुर्घटनाएं होती हैं। कई बार पर्यटकों की जान भी चली जाती है।
देवभूमि हिमाचल में पैराग्लाइडिंग का खेल भगवान भरोसे चल रहा है। व्यावसायिक पायलट दो हज़ार पांच सौ से चार हज़ार पांच सौ रुपये की कमाई के लालच में विपरीत मौसम में भी उड़ान भरने से नहीं चूकते। वे हवा की गति को नजरअंदाज कर देते हैं।
पायलटों की लापरवाही बनी दुर्घटनाओं का कारण
पैराग्लाइडिंग के लिए चिह्नित रूट से अलग पायलट मनमर्जी से उड़ान भरते हैं। इससे वे भटक जाते हैं और दुर्घटना का शिकार होते हैं। जांच रिपोर्ट्स में सामने आता है कि पायलट पर्यटक को सुरक्षा बेल्ट नहीं बांधते। विपरीत मौसम में उड़ान भरना दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बनता है।
अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान में 1987 में एयरोस्पोर्ट्स अधिकारी का पद सृजित किया गया था। लेकिन आज तक इस पद पर किसी पात्र व्यक्ति की नियुक्ति नहीं हुई। इस क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञों की कमी खलती है।
प्रदेश में 28 पंजीकृत पैराग्लाइडिंग साइट्स
हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों में कुल 28 चिह्नित और पंजीकृत पैराग्लाइडिंग साइट्स हैं। कांगड़ा, कुल्लू और चंबा जिलों में अक्टूबर से नवंबर तक कई देशों के पायलट पैराग्लाइडिंग का आनंद लेने आते हैं। इनमें चीन, मलेशिया, रूस और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं।
राज्य में 1500 पैराग्लाइडर पंजीकृत हैं और 1500 पायलट पर्यटकों को पैराग्लाइडिंग करवाते हैं। इस उभरते व्यवसाय से प्रदेश के लगभग 20 हज़ार परिवार जुड़े हुए हैं। सीजन के दौरान पूरे प्रदेश में करीब दो लाख उड़ानें होती हैं।
कुल्लू और कांगड़ा में हुईं प्रमुख दुर्घटनाएं
पिछले दो वर्षों में कुल्लू और कांगड़ा जिलों में कई गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं। जनवरी 2025 में कुल्लू के गडसा में हवा में टक्कर से तमिलनाडु के एक युवक की मौत हो गई। बिलिंग में बेल्जियम और कनाडा के पायलटों की जानें गईं।
धर्मशाला के इंद्रुनाग में जुलाई 2025 में अहमदाबाद के एक पर्यटक की दुर्घटना में मौत हुई। बिलिंग साइट विश्व की सर्वश्रेष्ठ पैराग्लाइडिंग जगहों में शामिल है। यहां 2015 में विश्व कप भी आयोजित हुआ था।
सरकारी नियम और सुरक्षा प्रबंध
राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश एयरोस्पोर्ट्स नियम के तहत हर पायलट और ऑपरेटर का पंजीकरण अनिवार्य किया है। 2025 में नियमों में संशोधन करते हुए एसआइवी ट्रेनिंग जरूरी की गई। यह आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग है।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी और तकनीकी समितियां हर साइट की स्वीकृति और निरीक्षण करती हैं। पैराग्लाइडिंग साइट्स पर मार्शल की तैनाती और एंबुलेंस का प्रबंध अनिवार्य किया गया है। सरकार ड्रोन सर्विलांस और डिजिटल पायलट रजिस्ट्रेशन पर काम कर रही है।
संस्थान में प्रशिक्षण की स्थिति
अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली में पिछले दो सालों में 600 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रशिक्षण पांच दिन का होता है। संस्थान के निदेशक अविनाश नेगी के अनुसार चालीस देशों के पायलट प्रदेश की पैराग्लाइडिंग साइट्स पर आते हैं।
हिमाचल प्रदेश ने 2004 में एयरोस्पोर्ट्स के लिए नियम बनाकर इस दिशा में पहल की थी। 2022 में इन नियमों में संशोधन किया गया। लेकिन मनाली स्थित संस्थान में तकनीकी विशेषज्ञों की भर्ती अभी तक नहीं हो पाई है। इससे सुरक्षा मानकों पर असर पड़ रहा है।
