Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में प्रस्तावित पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव स्थगित कर दिए हैं। मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत यह आदेश जारी किया है। सरकार ने इसका कारण मानसून से हुई भारी क्षति और खराब सड़क संपर्क को बताया है। उन्होंने कहा कि चुनाव तभी कराए जाएंगे जब पूरे राज्य में सड़क संपर्क पूरी तरह बहाल हो जाएगा। इस फैसले पर विपक्षी भाजपा ने सरकार पर जमकर हमला बोला है।
सरकार ने बताई चुनाव स्थगित करने की वजह
राज्य सरकार नेअपने आदेश में कहा है कि मानसून में हुई भारी बारिश ने राज्य के बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। सड़कें और ग्रामीण संपर्क मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने कहा कि इन हालात में मतदाताओं, चुनाव कर्मचारियों और चुनाव सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सड़क संपर्क ठीक न होने से कोई भी मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित न रह जाए।
जिला अधिकारियों ने की थी स्थगन की सिफारिश
मंडी,कांगड़ा, हमीरपुर और शिमला जिलों के उपायुक्तों ने पंचायती राज विभाग के सचिव को पत्र लिखकर चुनाव टालने का अनुरोध किया था। हमीरपुर के उपायुक्त अमरजीत सिंह ने अपने पत्र में लिखा कि भारी बारिश के कारण गांवों के रास्ते और सड़कें टूट चुकी हैं। ऐसे में इस समय पंचायत चुनाव करवाना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रशासन के अधिकारी फिलहाल आपदा राहत कार्यों में व्यस्त हैं।
भाजपा ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
भाजपाने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार पर लोकतंत्र विरोधी कदम उठाने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार जनता का सामना करने से डर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को चुनावी हार का डर है इसलिए आपदा का बहाना बनाया जा रहा है। भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि सरकार पहले से ही पंचायत चुनावों से भागने का रास्ता ढूंढ रही थी।
मानसून ने मचाई थी भारी तबाही
इस साल मानसून केदौरान हिमाचल प्रदेश को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जून से अगस्त के बीच राज्य में 47 बादल फटने और 98 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज की गईं। इन प्राकृतिक आपदाओं में 270 लोगों की मौत हो गई थी। 1817 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे जबकि 8323 मकानों को आंशिक नुकसान पहुंचा था। अनुमानित आर्थिक नुकसान 5426 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ है।
तीन हजार से अधिक पंचायतों में होने थे चुनाव
राज्य की3577 पंचायतों में चुनाव होने थे। इनमें प्रधान, उपप्रधान और वार्ड पंच के पदों के लिए मतदान होना था। इसके अलावा 91 ब्लॉक समितियों के 1600 सदस्यों और 12 जिला परिषदों के 249 सदस्यों का भी चुनाव प्रस्तावित था। चुनाव आयोग ने तैयारियां भी शुरू कर दी थीं और मतदाता सूचियों का प्रकाशन भी किया जा चुका था।
भविष्य की प्रक्रिया अब सड़क बहाली पर निर्भर
मुख्य सचिव केआदेश के बाद अब अगला कदम राज्य चुनाव आयोग का है। चुनावों की नई तारीखों का ऐलान आयोग द्वारा किया जाएगा। प्रशासन लगातार स्थिति की समीक्षा करेगा और सड़क संपर्क बहाल होने की स्थिति पर नजर रखेगा। सरकार का कहना है कि उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव बिना किसी बाधा के संपन्न हो सकें और हर मतदाता तक पहुंचना आसान हो।
