शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश पंचायत चुनाव: आयोग बनाम सरकार, बैलेट पेपर पर अड़गा!

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सरकार और राज्य चुनाव आयोग के बीच तनाव चरम पर है। आयोग ने चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी आपदा प्रबंधन अधिनियम का हवाला देकर चुनाव प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं। यह गतिराज्यपाल के समक्ष उठने जा रहा है, जहां चुनाव आयुक्त पूरे मामले की रिपोर्ट पेश करेंगे। इस झगड़े ने पंचायत चुनाव के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है।

राज्य चुनाव आयुक्त द्वारा बुलाई गई एक महत्वपूर्ण बैठक में कोई भी वरिष्ठ अधिकारी शामिल नहीं हुआ। इस बैठक में मुख्य सचिव, वित्त, राजस्व और गृह जैसे महत्वपूर्ण विभागों के सचिवों को आमंत्रित किया गया था। अधिकारियों की इस अनुपस्थिति ने आयोग और सरकार के बीच मौजूद गहरे मतभेदों को स्पष्ट कर दिया है। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है जो प्रशासनिक अड़चन को दर्शाती है।

जिला स्तर पर भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। चुनाव आयोग ने बैलेट पेपर प्रिंट करा लिए हैं और जिलाधिकारियों को इन्हें संभालने का निर्देश दिया था। लेकिन जिलाधिकारियों ने बैलेट पेपर नहीं उठाए हैं। उनका कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से आदेश मिले हैं कि आपदा अधिनियम लागू रहने तक कोई कार्रवाई न करें। इससे चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से ठप्प हो गई है।

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चुनाव आयोग ने पूरी कर ली है तैयारी

राज्य चुनाव आयोग नेपिछले साल से ही चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। पंचायतों के पुनर्सीमांकन और नई पंचायतों के गठन का काम किया जा चुका है। मतदाता सूचियां भी तैयार हैं। आयोग ने तीन करोड़ बैलेट पेपर प्रिंट करा लिए हैं और अन्य सभी जरूरी चुनाव सामग्री का प्रकाशन भी कर दिया है। आयोग का दावा है कि वह चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

पुनर्गठन के प्रस्तावों पर विवाद

पंचायतोंके पुनर्गठन के लिए पंचायती राज विभाग को शिमला, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी समेत कई जिलों से 23 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों को विभाग ने सरकार के पास भेज दिया है। हालांकि, चुनाव आयोग ने पुनर्गठन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। आयोग ने आदर्श आचार संहिता के एक प्रावधान को लागू करते हुए पंचायतों की सीमाओं को फ्रीज कर दिया है।

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सरकार बनाम आयोग का कानूनी रास्ता

आयोग कामानना है कि अब पुनर्गठन किया गया तो मतदाता सूची फिर से बनानी पड़ेगी क्योंकि सीमाएं बदल जाएंगी। इससे चुनाव में और देरी होगी। वहीं, राज्य सरकार चुनाव आयोग के इस फैसले को पलटने के लिए कानूनी राय ले रही है। सरकार पंचायतों का पुनर्गठन करना चाहती है, जबकि आयोग मौजूदा सीमाओं में ही त्वरित चुनाव चाहता है।

इस बीच, राज्य चुनाव आयोग ने मतदाताओं से अपील की है कि वे अपना नाम मतदाता सूची में जांच सकते हैं। हालांकि सूची का औपचारिक प्रकाशन नहीं हुआ है, लेकिन यह जानकारी आयोग की वेबसाइट और ‘सारथी’ एप पर उपलब्ध है। यदि किसी मतदाता का नाम सूची में नहीं है, तो वह दो रुपये के फॉर्म के साथ आवेदन देकर अपना नाम दर्ज करा सकता है।

यह पूरा मामला अब राज्यपाल के समक्ष जाएगा। राज्य चुनाव आयुक्त राजभवन जाकर राज्यपाल को इस पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे। राज्यपाल का हस्तक्षेप ही इस गतिरोध को तोड़ने की उम्मीद बन गई है। अगले कुछ दिनों में इस मामले में कोई निर्णायक मोड़ आने की संभावना है।

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