शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: शिमला मेयर का कार्यकाल बढ़ाने वाले अध्यादेश को हाईकोर्ट में दी चुनौती, सरकार को जारी किया नोटिस

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला मेयर का कार्यकाल पांच वर्ष करने के सरकारी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह जनहित याचिका अधिवक्ता अंजली सोनी वर्मा ने दायर की है।

मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को 11 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका में शहरी विकास विभाग, राज्य निर्वाचन आयोग और मौजूदा मेयर सुरेंद्र चौहान को प्रतिवादी बनाया गया है।

एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का आरोप

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकार ने एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए अध्यादेश लाया। यह अध्यादेश गैरकानूनी और मनमाना है। अध्यादेश आमतौर पर आपातकालीन परिस्थितियों में लाया जाता है। यहां ऐसी कोई स्थिति नहीं थी।

मौजूदा मेयर के कार्यकाल की समाप्ति पर किसी पात्र महिला को मेयर पद के लिए चयनित होने का मौका मिलना चाहिए था। सरकार ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। इसलिए अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए।

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आरक्षण रोस्टर में बदलाव का मामला

याचिका के अनुसार आरक्षण रोस्टर के मुताबिक अगले ढाई साल के लिए अनुसूचित जाति की महिला पार्षद को मेयर बनना था। सरकार ने इसे बदलकर मौजूदा मेयर को लाभ पहुंचाया है। कार्यकाल को पांच साल बढ़ा दिया गया है।

सरकार ने अपने बचाव में तर्क दिया कि यह फैसला हॉर्स ट्रेडिंग रोकने और प्रशासनिक स्थिरता के लिए लिया गया। पूर्व भाजपा सरकार ने ही मेयर का ढाई-ढाई साल का रोटेशनल सिस्टम लागू किया था। इससे आरक्षण प्रणाली और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का संतुलन बना रहता था।

राजनीतिक मतभेद सामने आए

इस फैसलेbसे कांग्रेस पार्टी के भीतर भी मतभेद सामने आए हैं। 15 कांग्रेस पार्षदों ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर असहमति जताई। उन्होंने इस कदम पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

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मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि फैसला वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने सभी पार्षदों से एकजुट होकर काम करने की अपील की। 25 अक्टूबर को सुक्खू कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने अध्यादेश जारी किया।

वर्तमान राजनीतिक संरचना

शिमला नगर निगम में कुल 34 वार्ड हैं। इनमें से 25 वार्डों पर कांग्रेस का कब्जा है। भाजपा के पास आठ वार्ड हैं जबकि एक वार्ड माकपा के पास है। 34 पार्षदों में से 21 महिला पार्षद हैं।

मेयर सुरेंद्र चौहान का ढाई वर्ष का कार्यकाल 15 नवंबर को खत्म हो रहा था। सामान्य स्थिति में मेयर और डिप्टी मेयर का बदलना तय था। अध्यादेश लागू होने से अब यह बदलाव नहीं होगा। आगामी शीतकालीन सत्र में इसे विधानसभा में रखा जाएगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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