शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश: ब्यास नदी पर हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के लिए अब सख्त होंगे नियम

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ब्यास नदी बेसिन पर जल विद्युत परियोजनाओं के लिए नए सख्त नियमों की घोषणा की है। प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए अब हर नई परियोजना का गहन पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन किया जाएगा। इस नई नीति का उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन और पारिस्थितिक संतुलन के बीच सामंजस्य बनाना है।

राज्य के ऊर्जा निदेशालय ने यह कदम प्रदेश में बढ़ते भूस्खलन और बाढ़ जैसी घटनाओं के मद्देनजर उठाया है। नई व्यवस्था के तहत, प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने से पहले उनके संभावित प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन करना अनिवार्य होगा। इस अध्ययन में नदी के प्रवाह, जैव विविधता और स्थानीय समुदाय पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होंगे।

एक नदी, एक नीति का पालन

मुख्यमंत्री द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब ‘एक नदी, एक नीति’ के सिद्धांत पर ही काम किया जाएगा। इसका अर्थ है कि किसी भी नदी पर एक निर्धारित सीमा से अधिक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स की अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

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स्थानीय समुदायों की भूमिका

नए प्रावधानों में स्थानीय निवासियों की राय को महत्वपूर्ण बनाया गया है। बिना स्थानीय ग्रामीणों की सहमति के किसी भी परियोजना को हरी झंडी नहीं दी जाएगी। प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास का भी प्रबंध किया जाएगा। यह नीति सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

ऊर्जा निदेशालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सर्वेक्षण में पाया गया कि जिन क्षेत्रों में अधिक परियोजनाएं हैं, वहां मछली की प्रजातियों में 28% तक की कमी आई है। मानसून के दौरान अनियंत्रित जल छोड़ने से निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा भी बढ़ गया है।

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ऊर्जा निदेशक राकेश प्रजापति के अनुसार, यह नीति प्रदेश के सतत विकास में मददगार साबित होगी। यह कदम आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देता है। पहले परियोजनाओं को मुख्यतः तकनीकी पहलुओं के आधार पर मंजूरी दी जाती थी, लेकिन अब परिदृश्य बदल गया है।

नई प्रक्रिया में विशेषज्ञों की एक टीम प्रत्येक प्रस्तावित परियोजना की वैज्ञानिक और सामाजिक रिपोर्ट तैयार करेगी। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय होगी। सरकार का दावा है कि इससे विकास और पर्यावरण के बीच एक बेहतर संतुलन स्थापित हो सकेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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