Himachal News: हिमाचल प्रदेश के दुधारू पशु अब चॉकलेट खाएंगे। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए एक विशेष पोषण चॉकलेट विकसित की है। इसके उपयोग से पशुओं की शारीरिक वृद्धि, दूध देने की क्षमता और प्रजनन क्षमता में सुधार होगा। इस चॉकलेट को चोकर, चूनी, खनिज मिश्रण, विटामिन और नमक जैसे पोषक तत्वों से तैयार किया गया है। पशुपालन विभाग ने इसे पशुओं के संतुलित आहार का हिस्सा बनाने की सलाह दी है।
वैज्ञानिकों ने तैयार की पशु चॉकलेट
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के न्यूट्रीशियन से जुड़े वैज्ञानिकों की टीम ने इस अनोखी चॉकलेट को विकसित किया है। यह चॉकलेट पशुओं के लिए संपूर्ण पोषण का काम करेगी। पशुपालन विभाग जिला सिरमौर के कार्यकारी उपनिदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि पशुओं में संतुलित आहार के साथ-साथ अब यह चॉकलेट भी दी जाएगी। इससे पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
ऐसे देनी है चॉकलेट
पशुओं को यह चॉकलेट उनकी क्षमता के अनुसार दी जाएगी। प्रत्येक पशु को अपने नियमित चारे के साथ इस चॉकलेट को प्रतिदिन पांच से सात मिनट तक चाटना अनिवार्य होगा। इससे पशुओं की शारीरिक संरचना और प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकेगा। पशुपालन विभाग के चिकित्सकों के अनुसार दुग्ध उत्पादन के लिए 80 से 100 ग्राम तक खनिज मिश्रण आवश्यक बताया गया है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
अलग-अलग मात्रा में देनी है चॉकलेट
पशुओं की उम्र के अनुसार चॉकलेट देने की अलग-अलग सलाह दी गई है। छोटे बछड़े और बछड़ियों को 20 से 25 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन पशु आहार में मिलाकर देना चाहिए। वयस्क पशुओं को 50 से 60 ग्राम खनिज मिश्रण पशु आहार में मिलाकर प्रतिदिन देना फायदेमंद रहेगा। पशुपालन विभाग के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने यह सलाह जारी की है। इससे पशुओं का संपूर्ण विकास होगा।
सूखे चारे से होता है नुकसान
अक्सर पशुपालक पशुओं को केवल सूखा चारा खिलाकर पालते हैं। इसमें भूसा, दल और लड्डू आदि शामिल हैं। इस तरह के आहार से पशुओं की बढ़ोतरी और उत्पादन पर विपरीत असर पड़ता है। बेहतर किस्म के सूखे हरे चारे में भी प्रोटीन, ऊर्जा और खनिज मिश्रण की कमी रह जाती है। इसी कमी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने पौष्टिक पुड़िया या चॉकलेट विकसित की है। यह पशुओं के लिए संतुलित आहार का काम करेगी।
कम लागत में बेहतर परिणाम
पशुओं की इस विशेष चॉकलेट की लागत लगभग 200 रुपए प्रति दो किलोग्राम निर्धारित की गई है। यह कीमत आम पशुपालकों के लिए काफी किफायती है। इस चॉकलेट के नियमित उपयोग से पशुओं के दूध उत्पादन में काफी वृद्धि देखी जा सकती है। साथ ही पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। इस तरह कम लागत में पशुपालकों को अधिक लाभ मिल सकेगा। यह चॉकलेट पशुपालन में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।
दूध उत्पादन में आएगा सुधार
इस पशु चॉकलेट के उपयोग से दूध उत्पादन में काफी सुधार होने की उम्मीद है। पशु जब इस चॉकलेट को चाटेंगे तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलेंगे। इससे उनके शरीर का समग्र विकास होगा और दूध देने की क्षमता बढ़ेगी। साथ ही प्रजनन क्षमता में भी सुधार आएगा। इस नवीनतम विकास से हिमाचल प्रदेश के पशुपालकों को काफी फायदा मिलेगा। उनकी आय में वृद्धि होगी और पशु भी स्वस्थ रहेंगे।
