Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के लिए निराशाजनक खबर है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान नहीं किया है। शिमला के पीटरहॉफ में आयोजित राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के 18वें सम्मेलन में सीएम के संबोधन के दौरान यह फैसला सामने आया। हालांकि, दिवाली से पहले कर्मचारियों को कुछ राहत मिली है।
मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों के लिए तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा की है। यह डीए एक अप्रैल 2025 से 15 अक्टूबर तक के लिए मिलेगा। साथ ही कर्मचारियों को इसका एरियर भी प्राप्त होगा। इस घोषणा के बावजूद कई कर्मचारी सभा स्थल से उठकर चले गए।
सीएम का संबोधन और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
बिजली कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सीएम सम्मेलन में ओल्ड पेंशन योजना लागू करने की घोषणा करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ओपीएस की घोषणा न होने से कर्मचारियों में निराशा देखी गई। कई कर्मचारी सीएम के संबोधन के दौरान ही सभा स्थल से बाहर चले गए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपने संबोधन में कहा कि वह सब कुछ फ्री कर सकते हैं। लेकिन अगर सब कुछ फ्री कर दिया तो जनता को धोखा देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जनता को धोखा नहीं दे सकती। बिजली बोर्ड में बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत बताई।
ओपीएस पर सीएम का रुख और भविष्य की योजना
सीएम सुक्खू ने पुरानी पेंशन योजना पर विचार करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि राज्य की वित्तीय स्थिति को ठीक होने में अभी थोड़ा समय लगेगा। उन्होंने कर्मचारियों से पांच से छह महीने का सब्र रखने की अपील की। इस अवधि के बाद बिजली बोर्ड कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बिजली बोर्ड की वर्तमान स्थिति के लिए पूर्व अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पूर्व अधिकारियों ने बोर्ड में अधिकारियों की फौज खड़ी कर दी। साथ ही कर्मचारियों का हक खा लिया। क्लास वन अधिकारियों की बिजली सब्सिडी अब तक बंद नहीं की गई है।
चुनावी वादे और वर्तमान स्थिति
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने महत्वपूर्ण वादा किया था। पार्टी ने कहा था कि पहली कैबिनेट मीटिंग में सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा। अब तक अन्य विभागों में यह योजना लागू हो चुकी है। लेकिन बिजली बोर्ड और अन्य निगमों के कर्मचारी अभी भी इंतजार कर रहे हैं।
बिजली विभाग के करीब छह हजार कर्मचारी ओपीएस से वंचित हैं। ये कर्मचारी लगातार अपनी मांग को लेकर आवाज उठाते रहते हैं। समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी मांग सामने आती रहती है। अब उन्हें अगले पांच-छह महीने का इंतजार करना होगा।
बिजली बोर्ड की वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
मुख्यमंत्री ने बिजली बोर्ड में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। बोर्ड की वित्तीय स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। सरकार बोर्ड के कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से देख रही है। लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी एक बड़ी बाधा है।
कर्मचारियों को दिए गए तीन प्रतिशत डीए की घोषणा से कुछ राहत मिली है। यह बढ़ा हुआ भत्ता एक अप्रैल 2025 से लागू होगा। कर्मचारियों को पिछले महीनों का एरियर भी मिलेगा। इससे उन्हें आर्थिक रूप से कुछ सहायता मिलने की उम्मीद है।
