Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसे लगातार जानलेवा साबित हो रहे हैं। प्रदेश में पिछले 11 महीनों के भीतर कुल 1771 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन दर्दनाक हादसों में अब तक 737 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। पुलिस विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इन दुर्घटनाओं में 2814 लोग घायल भी हुए हैं। घायलों में 525 लोगों की हालत गंभीर बताई गई है, जबकि 2289 लोगों को मामूली चोटें आई हैं। पुलिस प्रशासन अब तकनीक की मदद से इन हादसों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है।
लापरवाही और तेज रफ्तार है बड़ी वजह
हिमाचल पुलिस सड़क सुरक्षा को लेकर अब ज्यादा सतर्क हो गई है। हादसों के पैटर्न को समझने के लिए रीयल-टाइम डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है। पुलिस की टीमें 24 घंटे ट्रैफिक डाटा पर नजर रख रही हैं। ट्रैफिक टूरिस्ट और रेलवे पुलिस की जांच में कई बड़े खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर हादसे ड्राइवरों की लापरवाही के कारण हो रहे हैं। तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना और शराब पीकर ड्राइविंग करना मौत की मुख्य वजहें बनी हैं। ओवरटेकिंग के चक्कर में भी कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।
शिमला और मंडी में सबसे ज्यादा जान का नुकसान
जिलों के हिसाब से देखें तो राजधानी शिमला में स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, शिमला में सबसे अधिक 99 लोगों की मौत हुई है। मंडी जिले में 88 लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई है। कुल्लू में यह आंकड़ा 66 और सिरमौर में 62 रहा है। पुलिस जिला बद्दी में 60, चंबा में 57 और कांगड़ा में 43 लोगों की मृत्यु हुई है। इसके अलावा ऊना में 40, सोलन में 34 और बिलासपुर में 31 लोग काल का ग्रास बने हैं। जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति में सबसे कम 12 मौतें दर्ज की गई हैं।
पहाड़ी सड़कें और सुरक्षा के उपाय
हिमाचल प्रदेश की सड़कें भौगोलिक रूप से काफी कठिन और संकरी हैं। खराब मौसम में दृश्यता कम होने से भी खतरा बढ़ जाता है। सड़क किनारे अवैध पार्किंग और तकनीकी खामियां भी हादसों को न्योता देती हैं। पुलिस और परिवहन विभाग ने अब ‘ब्लैक स्पॉट’ की पहचान कर उनमें सुधार शुरू कर दिया है। सभी जिलों में आईटीएमएस (ITMS) के तहत सीसीटीवी कैमरों और स्पीड डिटेक्टर से निगरानी बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही स्कूल, कॉलेज और पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
