Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में लगाए गए विभिन्न सैस से प्राप्त होने वाले करोड़ों रुपये के राजस्व के उपयोग के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधानसभा में बताया कि अब तक सैस से 762 करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई है और नई एसओपी के तहत यह पैसा संबंधित विभाग ही खर्च कर सकेंगे।
सैस से मिली है शानदार आमदनी
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधायक विक्रम ठाकुर के सवाल के जवाब में यह जानकारी सदन को दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वित्त विभाग इस धनराशि को खर्च नहीं कर सकता। नई प्रक्रिया में जिस विभाग के लिए सैस एकत्र किया गया है, वही विभाग उन निधियों का उपयोग करेगा। इससे धन का उपयोग सीधे संबंधित कार्यों के लिए सुनिश्चित हो सकेगा।
खनन पर सैस को लेकर उठे सवाल
विधायक विक्रम ठाकुर ने सदन में खनन पर लगाए गए दो से तीन तरह के सैस पर चिंता जताई। उनका कहना था कि इससे आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इसका सीधा असर बजरी और रेत की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। उन्होंने इस मामले में राहत की मांग की।
डीसी को दिए जाएंगे निर्देश
इसके जवाब में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में जिला उपायुक्तों को निर्देश दिए जाएंगे। डीसी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाएगा कि रेत और बजरी के दामों पर उचित नियंत्रण बना रहे। इस कदम से निर्माण सामग्री की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी पर लगाम लगने की उम्मीद है।
गौवंश के लिए बढ़ाई गई राशि
चर्चा के दौरान गौसदनों में गौवंश के लिए तय राशि न जारी होने का मामला भी उठाया गया। विधायक ने बताया कि पिछले तीन महीनों से यह राशि जारी नहीं की गई है। इस पर उपमुख्यमंत्री ने एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि सरकार प्रति गौवंश मिलने वाली राशि बढ़ाने जा रही है।
मिलने वाली है अधिक सहायता
पहले प्रति माह प्रति गौवंश 700 रुपए दिए जाते थे। अब इस राशि को बढ़ाकर 1250 रुपए कर दिया गया है। अग्निहोत्री ने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस संशोधित दर पर राशि का भुगतान गौसदनों को कर दिया जाएगा। इससे पशु कल्याण की दिशा में काम करने वालों को मदद मिलेगी।
राज्य में लगाए गए हैं ये सैस
हिमाचल प्रदेश सरकार विभिन्न उद्देश्यों के लिए कई प्रकार के सैस लगा रही है। इनमें पंचायती राज संस्था सैस, मोटर वाहन सैस, गऊधन विकास निधि, एम्बुलैंस सेवा फंड और कोविड सैस शामिल हैं। इसके अलावा मिल्क सैस, प्राकृतिक खेती सैस, दुग्ध उपकर और पर्यावरण सैस भी लगाया जा रहा है।
नई एसओपी से होगा बेहतर प्रबंधन
नई मानक संचालन प्रक्रिया बनने के बाद सैस से प्राप्त होने वाली विशाल धनराशि का प्रबंधन अधिक पारदर्शी और कुशल हो सकेगा। विभागों को अपने क्षेत्र में सीधे काम करने का अवसर मिलेगा। इसका उद्देश्य जनता के हित में इन निधियों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
