Shimla News: हिमाचल प्रदेश के नए कार्यकारी मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने अपने पद संभालते ही बड़े फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ बैठक के बाद अधिकारियों के लिए नए निर्देश जारी किए गए हैं। इनमें समय पर दफ्तर पहुंचना और फाइलों का शीघ्र निपटान शामिल है। साथ ही विभागाध्यक्षों को शहर से बाहर जाने पर सीएम, मंत्री और मुख्य सचिव को सूचित करना अनिवार्य कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्पष्ट किया कि अनुशासन सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों से काम में तेजी लाने और फाइलों का निपटान एक-दो दिन में करने को कहा है। प्रशासनिक कार्यों की प्रगति की हर महीने समीक्षा भी की जाएगी। इससे पता चल सकेगा कि कौन सा अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक से नहीं कर रहा है।
संजय गुप्ता ने प्रदेश की सात प्रमुख प्राथमिकताएं घोषित की हैं। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, पर्यटन, बिजली, प्राकृतिक खेती और डेटाबेस प्रोत्साहन शामिल हैं। इन क्षेत्रों पर अगले दो वर्षों में गहनता से कार्य किया जाएगा। इन योजनाओं को बनाने के लिए संबंधित सचिवों की एक उच्च-स्तरीय बैठक भी आयोजित की गई थी।
बिजली बोर्ड में सुधार का अनुभव
मुख्य सचिव ने अपने पिछले अनुभव साझा करते हुए बताया कि बिजली बोर्ड की स्थिति पहले चिंताजनक थी। बोर्ड का चेयरमैन नियमित रूप से कार्यालय नहीं आता था। जब नियमित बैठकें शुरू हुईं तो सभी अधिकारी समय पर पहुंचने लगे। इस अनुशासन का सीधा लाभ बोर्ड के वित्तीय स्वास्थ्य में दिखाई दिया। केवल 15 महीनों में ही बोर्ड को 500 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है।
आर्थिक चुनौतियों का सामना
गुप्ता ने स्वीकार किया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति अभी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में सरकार को हाथ खींचकर काम करना होगा। हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले वर्ष तक स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी और काम रुकने नहीं दिए जाएंगे। प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से वार्ता जारी है।
प्रदेश द्वारा इस वर्ष हुए नुकसान का प्रपोजल केंद्र को भेजा जा रहा है। पिछले वर्षों की बकाया राशि को दो किस्तों में मुक्त कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस वित्तीय सहायता से पुनर्निर्माण कार्यों को गति मिलने की उम्मीद है। सरकार का मुख्य फोकस प्रशासनिक दक्षता और विकास कार्यों पर है।
