Chamba News: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मणिमहेश यात्रा पर आए हजारों श्रद्धालु प्रकृति के कहर में फंस गए हैं। 23 अगस्त को अचानक आई भारी बारिश और बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी। डल झील का परिक्रमा मार्ग पानी से लबालब हो गया। कई पुलियाँ बह गईं और सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। श्रद्धालु अपनी जान बचाकर पैदल ही सुरक्षित स्थानों की ओर निकले।
यात्रियों ने बयां की भयावह स्थिति
भलेई निवासी अभिषेक राजपूत ने बताया कि सुबह अचानक मौसम खराब हो गया। देखते ही देखते डल झील का क्षेत्र पानी से भर गया। अस्थायी दुकानें और लंगर का सामान बह गया। वे दो दिन तक वहीं फंसे रहे। 25 अगस्त को शिव के गूर ने भविष्यवाणी की कि पवित्र स्थल पर गंदगी के कारण यह तबाही हुई है।
पैदल चलकर निकले श्रद्धालु
श्रद्धालुओं ने हिम्मत दिखाते हुए मणिमहेश डल से हड़सर की ओर वापसी शुरू की। गौरीकुंड, सुंदरासी, धन्छो और दोनाली में भारी तबाही देखने को मिली। सभी रास्ते और सड़कें बह चुकी थीं। जैसे-तैसे लोग हड़सर पहुँचे। वहाँ से वे भरमौर और फिर चंबा पहुँचे।
हड़सर में हज़ारों वाहन फंसे
ऊना के रजत कुमार ने बताया कि कई श्रद्धालु बाइकों पर यात्रा पर आए थे। वे पैदल चलकर तो सुरक्षित निकल आए, लेकिन हड़सर और भरमौर में खड़ी लगभग 3,000 बाइकों की चिंता सता रही है। इनमें से कई वाहन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
लंगर समितियों ने बचाई जान
जम्मू-कश्मीर के शिव कुमार ने कहा कि लंगर समितियों ने लोगों की जान बचाई। हमीरपुर के देवेंद्र कुमार ने कहा कि समितियाँ न होतीं तो कई लोग भूखे मर जाते। इस तरह की अव्यवस्था पहली बार देखने को मिली। लोगों ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए।
बुजुर्ग ने दिखाई मानवता
लूणा गांव के एक बुजुर्ग ने मानवता की मिसाल पेश की। उन्होंने फंसे यात्रियों के लिए अपना घर खोल दिया। घर में जमा छह महीने का राशन भी उन्होंने यात्रियों के इस्तेमाल के लिए दे दिया। उन्होंने कहा कि यहाँ रहो, राशन पकाओ और खाओ।
मोबाइल नेटवर्क की बड़ी समस्या
मंडी की अनीता देवी ने बताया कि नेटवर्क न होने से मदद नहीं मिल पा रही थी। लोग चार दिनों तक अपनों से बात नहीं कर पाए। पहाड़ियाँ लगातार गिर रही थीं। बच्चे भूख-प्यास से तड़प रहे थे। सड़कों के पुनर्निर्माण में कई महीने लग सकते हैं।
