शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: हमीरपुर में ‘सामाजिक संरचना’ विषय पर आयोजित हुआ राष्ट्रीय परिसंवाद

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Himachal News: हमीरपुर स्थित ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान ने एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। ‘हिमाचल प्रदेश की सामाजिक संरचना: निरंतरता और परिवर्तन’ विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद शनिवार को संपन्न हुआ। यह आयोजन तीन संस्थानों के सहयोग से किया गया।

सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी और इग्नू क्षेत्रीय केंद्र शिमला ने सहयोग प्रदान किया। नालंदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन ने भी इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश भर के विद्वानों और शोधार्थियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

वरिष्ठ अतिथियों की उपस्थिति

उद्घाटन सत्र कीअध्यक्षता प्रोफेसर देवी प्रसाद तिवारी ने की। वह वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के पूर्व कुलपति हैं। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी मुख्य अतिथि रहे।

प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर ओसी हांडा ने बीज वक्ता के रूप में विचार रखे। वह हिमालयी संस्कृति के विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। इग्नू शिमला के उपनिदेशक डॉक्टर मोहन शर्मा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ

उद्घाटन सत्र काप्रारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। नरेश मलोटिया ने संकल्प पाठ प्रस्तुत किया। पवन कुमार ने इतिहास पुरुष का वाचन किया। यह सभी कार्यक्रम की परंपरागत शुरुआत का हिस्सा थे।

परिसंवाद संयोजक डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा ने अतिथियों का परिचय कराया। आयोजन सचिव डॉक्टर बिंदू साहनी ने परिसंवाद की भूमिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

विद्वानों के विचार

संस्थान निदेशक डॉक्टर चेतराम गर्ग ने आगामी शोध परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सम्मेलन के उद्देश्यों को विस्तार से समझाया। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने भारतीय इतिहास को सर्व समावेशी बताया।

उन्होंने हिमाचल की सामाजिक संरचना के अध्ययन को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने शोधार्थियों से तथ्यों और अभिलेखों के संरक्षण पर काम करने को कहा। मौखिक परंपराओं के दस्तावेजीकरण पर जोर दिया।

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सामाजिक व्यवस्था पर चर्चा

प्रोफेसर तिवारी ने भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने इसे ऋग्वेद पर आधारित बताया। उनके अनुसार यह सामाजिक संरचना निरंतरता को दर्शाती है।

डॉक्टर हांडा ने हिमाचल के इतिहास में खशों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्राचीन किलों का उदाहरण देते हुए सामाजिक संरचना को समझाया। इन किलों को सामाजिक इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

छह सत्रों में आयोजन

मुख्य कार्यक्रम केबाद छह विशेष सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में साठ से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। शोधार्थियों ने अपने अध्ययन और निष्कर्ष साझा किए।

मध्य प्रदेश, हरियाणा और जम्मू से शोधार्थी शामिल हुए। हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। आचार्यों और विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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