Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नगर निगमों और नगर परिषदों के चुनावों में देरी की अनुमति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। गुरुवार को विधानसभा में पेश किए गए दो संशोधन विधेयकों के जरिए प्रावधान किया गया है कि इन निकायों के गठन के बाद चुनाव दो साल के भीतर करवाए जा सकेंगे। इसका उद्देश्य नए बने निकायों को बुनियादी ढांचा तैयार करने का पर्याप्त समय देना है।
विधेयकों का सदन में पेश होना
शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने हिमाचल प्रदेश नगर पालिका संशोधन विधेयक 2025 सदन के पटल पर रखा। इसी तरह हिमाचल प्रदेश नगर निगम संशोधन विधेयक 2025 भी पेश किया गया। इन विधेयकों को शुक्रवार को सदन में पारित करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में सरकार की तरफ से स्पष्टता बनाई गई है।
चुनाव में देरी का कारण
संशोधन विधेयकों में चुनाव में देरी के पीछे का तर्क दिया गया है। हाल में कई नए नगर निगमों और नगरपालिकाओं का गठन हुआ है। इस विस्तार के चलते तुरंत चुनाव करवाना प्रशासनिक रूप से चुनौतीपूर्ण है। नए निकायों के पास अभी पर्याप्त बुनियादी ढांचा और वित्तीय संसाधनों का अभाव है।
अन्य महत्वपूर्ण विधेयक
सदन की कार्यवाही के दौरान अन्य विधेयक भी पेश किए गए। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर द्वितीय संशोधन विधेयक 2025 रखा। इसका उद्देश्य केंद्रीय प्रावधानों को लागू करना है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी दो विधेयक सदन में पेश किए।
शिक्षा से जुड़े विधेयक
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आईईसी इंडिया एजुकेशन सेंटर विश्वविद्यालय स्थापना और विनियमन निरसन विधेयक 2025 पेश किया। इसके अलावा शुक्रवार को वह हिमाचल प्रदेश लोक उपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिषेध विधेयक 2025 भी सदन में रखेंगे। ये सभी विधेयक राज्य के विकास से सीधे जुड़े हुए हैं।
सरकार का दृष्टिकोण
सरकार का मानना है कि यह संशोधन नगर निकायों के कुशल प्रबंधन के लिए जरूरी है। नए निकायों को मजबूत बनाने के लिए समय चाहिए। इस कदम से स्थानीय निकाय चुनावों को अधिक व्यवस्थित तरीके से करवाया जा सकेगा। यह निर्णय नागरिकों को बेहतर सुविधाएं देने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
