Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। राज्य में पहली बार दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया गया है। इस नीति से प्रतिदिन 38,400 किसानों को लाभ मिल रहा है। राज्य में रोजाना 2.32 लाख लीटर दूध की खरीद हो रही है।
हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ अब गाय के दूध को 51 रुपये प्रति लीटर के भाव से खरीद रहा है। भैंस के दूध का मूल्य 61 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया है। ऊना जिले में बकरी के दूध की खरीद 70 रुपये प्रति लीटर की दर से शुरू की गई है। इससे दुग्ध उत्पादकों को सीधा लाभ मिल रहा है।
परिवहन सब्सिडी और अतिरिक्त सहायता
दूध की ढुलाई करने वाली समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवहन सब्सिडी बढ़ाई गई है। अब यह सब्सिडी 3 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक दूध पहुंचाने वालों को 2 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त सहायता मिलेगी। दूध की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए बल्क मिल्क कूलर स्थापित किए जा रहे हैं।
प्रदेश में वर्तमान में 11 दूध प्रसंस्करण संयंत्र कार्यरत हैं। इनकी कुल क्षमता 1.80 लाख लीटर प्रतिदिन है। शिमला के दत्तनगर में 5 मीट्रिक टन क्षमता वाला मिल्क पाउडर संयंत्र संचालित हो रहा है। हमीरपुर जिले में 16 मीट्रिक टन क्षमता का पशु आहार संयंत्र स्थापित किया गया है।
डिजिटलीकरण और स्वचालित प्रणाली
दूध खरीद प्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए स्वचालित मिल्क कलेक्शन यूनिट्स स्थापित की जा रही हैं। 222 ऑटोमेटिक मिल्क कलेक्शन यूनिट्स और 32 डीपीएमसीयू लगाए जा चुके हैं। दूध संग्रहण प्रक्रिया का डिजिटलीकरण आठ समितियों में पायलट आधार पर शुरू हो चुका है।
दुग्ध उत्पादकों को हर महीने 39.48 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ मिल रहा है। यह अब तक का सबसे अधिक लाभ है। सरकार सीमांत और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले उत्पादकों से उनके घर पर ही दूध एकत्रित कर रही है।
नई परियोजनाएं और विस्तार
हिम गंगा योजना के पहले चरण को हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में शुरू किया गया है। मिल्कफेड ने 268 नई दुग्ध उत्पादक समितियों का गठन किया है। इनमें 46 समितियां हमीरपुर और 222 समितियां कांगड़ा जिले से हैं। इनमें 20 महिला समितियां भी शामिल हैं।
15 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री ने शिमला के दत्तनगर में नए दूध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन किया। इसकी क्षमता 50 हजार लीटर प्रतिदिन है। इसके साथ ही वहां कुल प्रसंस्करण क्षमता 70 हजार लीटर प्रतिदिन हो गई है। मिल्कफेड ने छह प्रमुख संयंत्रों के उन्नयन पर 19.54 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
ढगवार में 3 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला स्वचालित दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जा रहा है। इसकी लागत 200.43 करोड़ रुपये है। एनपीडीडी 2.0 परियोजना के तहत तीन नए संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। ऊना और हमीरपुर में दो मिल्क चिलिंग सेंटर बनाए जाएंगे।
