Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब ढाई महीने से बारिश न होने के कारण सूखे जैसे गंभीर हालात पैदा हो गए हैं। राज्य में लंबे समय से चल रहे इस सूखे ने किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ा दी है। इसका सीधा असर गेहूं, सेब और विश्व प्रसिद्ध कांगड़ा चाय के उत्पादन पर पड़ रहा है। नमी की कमी के कारण रबी की फसलों की बिजाई का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे इस साल कृषि उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही है।
गेहूं और रबी फसलों पर सबसे ज्यादा मार
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में रबी फसलों की लगभग 60 फीसदी बिजाई अब तक नहीं हो पाई है। जिन किसानों ने बिजाई कर दी थी, उनकी फसलें भी पानी की कमी से पीली पड़ने लगी हैं। खासकर लहसुन, मटर और जौ के खेतों में पीलापन साफ दिखाई दे रहा है। ऊना जिले के बंगाणा, अंब और हरोली जैसे इलाकों में गेहूं के खेत पूरी तरह सूख चुके हैं। स्थिति यह है कि यहां कुओं का जलस्तर बरसात के मुकाबले 10 फीट नीचे चला गया है। कांगड़ा के चंगर क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा न होने से 10 फीसदी किसान गेहूं की बिजाई ही नहीं कर पाए हैं।
सेब और बागवानी के लिए तरस रहे बागवान
बारिश न होने से हिमाचल प्रदेश के बागवान भी परेशान हैं। चंबा और मंडी जिलों में सेब की नई किस्मों के लिए जरूरी ‘चिलिंग ऑवर’ (ठंड के घंटे) पूरे न होने का खतरा मंडरा रहा है। जमीन में नमी न होने के कारण बागवान नए बागीचे लगाने के लिए गड्ढे नहीं खोद पा रहे हैं। कीवी, जापानी फल और सेब की नई पौध का रोपण रुका हुआ है। करसोग, सराज और धर्मपुर जैसे क्षेत्रों में अगर जल्द बारिश नहीं हुई, तो आने वाले सीजन में फलों की फ्लावरिंग (फूल आने की प्रक्रिया) पर बुरा असर पड़ेगा।
कांगड़ा चाय के उत्पादन में गिरावट का डर
सूखे की मार कांगड़ा चाय के कारोबार पर भी पड़ रही है। राज्य में हर साल औसतन 10 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जनवरी तक बारिश नहीं हुई, तो चाय उत्पादन में भारी कमी दर्ज की जाएगी। सूखी मिट्टी के कारण चाय के पौधों को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। इसका असर मार्च में आने वाली नई पत्तियों पर पड़ेगा। फिलहाल पौधों की कटाई-छंटाई का काम चल रहा है, लेकिन नई कोपलों के फूटने के लिए बारिश बेहद अनिवार्य है।
महंगे बीज खरीदकर फंसे लहसुन उत्पादक
सिरमौर जिले में लहसुन की खेती को बड़ा झटका लगा है। सूखे के कारण यहां करीब 20 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। किसानों ने 110 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से महंगा बीज खरीदा था, लेकिन बारिश न होने से फसल बढ़ नहीं रही है। सैनधार और गिरिपार जैसे इलाकों में लहसुन प्रमुख नकदी फसल है। उधर, हमीरपुर जिले में भी गेहूं की फसल पीली पड़ रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि अगले 15 दिनों में बारिश नहीं होती है, तो नुकसान का आंकड़ा 5 से 10 फीसदी और बढ़ सकता है।