Himachal News: 2025 का मानसून हिमाचल प्रदेश के लिए कहर बनकर आया है। लगातार बारिश से भूस्खलन और बाढ़ ने 91 लोगों की जान ले ली। 432 घर पूरी तरह नष्ट हो गए, जबकि 928 को आंशिक क्षति हुई। ₹749 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। 34 लोग लापता हैं और 131 घायल हैं। मंडी और कांगड़ा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। राहत कार्य चल रहे हैं, लेकिन मौसम की मार ने हालात को मुश्किल बना दिया है।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग ने 17 जुलाई तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। 13 जुलाई के लिए ऑरेंज अलर्ट भी लागू है। शुक्रवार को मौसम में सुधार दिखा, लेकिन जुब्बड़हट्टी में 47 मिमी और नारकंडा में 12 मिमी बारिश हुई। द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, शिमला और सिरमौर में 12 जुलाई को भारी बारिश का अनुमान है। हिमाचल प्रदेश मानसून आपदा से जूझ रहा है और स्थिति गंभीर बनी हुई है।
सड़कों और बुनियादी ढांचे पर असर
भूस्खलन और मलबे ने 223 सड़कें बंद कर दी हैं। इसमें एक राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल है। मंडी में 166 सड़कें प्रभावित हैं। 151 ट्रांसफार्मर और 815 पेयजल योजनाएं ठप हैं। कांगड़ा में 603 जल योजनाएं बाधित हैं। लोगों को पानी और बिजली की किल्लत झेलनी पड़ रही है। राहत टीमें दिन-रात काम कर रही हैं, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही। हालात चिंताजनक हैं।
मंडी और कांगड़ा की हालत
मंडी और कांगड़ा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। मंडी में 143 ट्रांसफार्मर बंद हैं और 204 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। कांगड़ा में भी हालात खराब हैं। लोगों के घर उजड़ गए, खेत बर्बाद हो गए। परिवार अपने प्रियजनों को खोकर दुखी हैं। हिमाचल प्रदेश मानसून आपदा ने इन जिलों को पूरी तरह झकझोर दिया है। प्रशासन मदद के लिए आगे आया है, लेकिन चुनौतियां बड़ी हैं।
चंबा में भूकंप का झटका
शुक्रवार सुबह चंबा में 3.5 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र जमीन से 5 किमी नीचे था। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन लोग डरे हुए हैं। मानसून की मार के बीच भूकंप ने चिंता बढ़ा दी है। उपायुक्त मुकेश रेप्सवाल ने कहा कि प्रशासन सतर्क है और किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है।
