Himachal News: हिमाचल प्रदेश में वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने सरकारी खजाने में हुई लूट की पोल खोल दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को यह रिपोर्ट सदन में पेश की। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के बीच राज्य के कोषागारों में भारी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। इससे हिमाचल प्रदेश के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है।
बिना अधिकार वाले अफसरों ने पास किए बिल
कैग की ऑडिट रिपोर्ट में ई-सैलरी डाटाबेस की जांच के दौरान चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। हिमाचल प्रदेश में 59,564 बिल ऐसे अधिकारियों ने पास कर दिए, जिनके पास इसका अधिकार ही नहीं था। यह खेल एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के जरिए खेला गया। बिना पावर वाले अफसरों द्वारा सरकारी धन का यह भुगतान गंभीर सवाल खड़े करता है।
एक ही काम के लिए दो बार पेमेंट
रिपोर्ट में 14 ऐसे मामले पकड़े गए हैं जहां एक ही व्यक्ति को दो बार भुगतान किया गया। अवकाश नकदीकरण (Leave Encashment) के लिए सिस्टम से डबल पेमेंट पास की गई। यह गड़बड़ी सितंबर 2016 से अक्टूबर 2021 के बीच हुई। इससे सरकार को 67.33 लाख रुपये का चूना लगा। इसके अलावा, 537 मामलों में चेक जारी करने की तारीख चेकबुक मिलने की तारीख से भी पहले की पाई गई। हजारों बिलों को पास करने में 15 से 180 दिन तक की देरी भी की गई।
जिंदा होने का सबूत लिए बिना दी पेंशन
हिमाचल प्रदेश के कोषागार नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं। नियम के अनुसार, पेंशनभोगियों को हर साल जुलाई-अगस्त में जीवन प्रमाण पत्र देना होता है। लेकिन अधिकारियों ने बिना प्रमाण पत्र लिए ही पेंशन जारी रखी। ऑडिट में पाया गया कि कोषागारों ने नियमों को नजरअंदाज कर सरकारी पैसा लुटाया।
कंप्यूटर ऑपरेटर ने किया लाखों का गबन
वित्तीय गड़बड़ी का सबसे हैरान करने वाला मामला गैर-पेंशनभोगियों के नाम पर पैसे निकालना है। एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने 19 फर्जी बिल बनाकर 68.11 लाख रुपये का गबन किया। जांच में पता चला कि इसमें से 11.38 लाख रुपये सीधे ऑपरेटर के बैंक खाते में गए। विभागीय जांच के बाद कुछ राशि वसूल की गई है। अभी भी करीब 29.61 लाख रुपये की रिकवरी होना बाकी है। हिमाचल प्रदेश सरकार अब इस रिपोर्ट के आधार पर सख्त कदम उठा सकती है।
