Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूल प्रधानाचार्य पद के लिए पदोन्नति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब राज्य लोक सेवा आयोग के बजाय विभागीय पदोन्नति समिति ही यह कार्य करेगी। इस निर्णय से लंबित 805 प्रधानाचार्य पदों को शीघ्र भरने का रास्ता साफ हो गया है।
25 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा हुई। मंत्रिमंडल ने कार्मिक विभाग से इस प्रक्रिया पर अपनी राय मांगी थी। विभाग से पूछा गया कि क्या डीपीसी के माध्यम से पदोन्नति उचित रहेगी और क्या इससे कोई विवाद पैदा होगा।
नई समिति का गठन
सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की जाएगी। इस समिति में निदेशक शिक्षा सहित एक सदस्य सचिव शामिल होंगे। सदस्य सचिव उप सचिव स्तर का अधिकारी हो सकता है। इस संबंध में आवश्यक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
दो वर्षों से प्रधानाचार्य पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया लंबित पड़ी है। राज्य के 805 स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद खाली हैं। इन सभी पदों के लिए एक साथ पैनल तैयार करना जटिल प्रक्रिया है। इसी देरी को दूर करने के लिए नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
शिक्षकों को हो रहा नुकसान
27 मई 2023 के बाद प्रधानाचार्य पद पर कोई पदोन्नति नहीं हुई है। उस वर्ष दिसंबर में कुछ शिक्षकों को पदोन्नत कर प्रधानाचार्य बनाया गया था। वर्तमान में खाली पदों पर वरिष्ठ शिक्षकों को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है।
पदोन्नति में देरी का सबसे बड़ा नुकसान शिक्षकों को हो रहा है। कई योग्य शिक्षक पदोन्नति के पात्र हैं लेकिन प्रक्रिया लंबित होने के कारण वे सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे उन्हंे अपने करियर में वरिष्ठ पद नहीं मिल पा रहा है।
स्थायी पदोन्नति की व्यवस्था
वर्ष 1998 से 2023 तक प्रधानाचार्यों को नियमित नियुक्ति नहीं मिली। उन्हें केवल प्लेसमेंट या अस्थायी तौर पर प्रधानाचार्य बनाया गया। कुछ वर्षों बाद ही उन्हें नियमित स्केल दिया गया। इससे कानूनी मामले बढ़ गए।
अदालत ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि प्लेसमेंट आधार पर पदोन्नति को नियमित कर सभी लाभ दिए जाएं। इसके बाद विभाग ने निर्णय लिया कि भविष्य में सभी पदोन्नतियां स्थायी होंगी। इससे शिक्षकों को स्थायित्व मिलेगा।
स्कूल कॉम्प्लेक्स प्रणाली का प्रभाव
राज्य सरकार ने स्कूलों में कॉम्प्लेक्स प्रणाली शुरू की है। वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य को आसपास के 8 से 10 स्कूलों का प्रमुख बनाया गया है। स्थायी प्रधानाचार्य न होने से इस प्रणाली को चलाने में दिक्कतें आ रही हैं।
नई पदोन्नति प्रक्रिया से शैक्षिक प्रशासन में सुधार की उम्मीद है। खाली पदों के भरने से स्कूलों का कामकाज बेहतर होगा। शिक्षकों के मनोबल में वृद्धि होगी। विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
इस निर्णय से शिक्षा विभाग के कामकाज में तेजी आएगी। शिक्षकों के करियर में आगे बढ़ने के अवसर बढ़ेंगे। राज्य के शैक्षिक ढांचे को मजबूती मिलेगी। स्कूलों का प्रबंधन और बेहतर हो सकेगा।
