Himachal News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। अदालत ने पंचायती राज चुनाव नियम, 1994 में किए गए हालिया संशोधन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने शिमला जिला परिषद के वार्डों का नए सिरे से परिसीमन करने का आदेश दिया है। जजों ने माना कि सरकार द्वारा किए गए बदलाव मनमाने थे और यह संविधान के नियमों के खिलाफ थे।
संवैधानिक नियमों का हुआ उल्लंघन
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और रोमेश वर्मा की बेंच ने शुक्रवार को संशोधित नियम 9(2) को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने परिसीमन के लिए ग्राम सभा की जगह पंचायत समिति को आधार बनाया था। इससे वार्डों की आबादी में भारी असमानता पैदा हो गई थी। कोर्ट ने पाया कि इस संशोधन में संवैधानिक नियमों के बजाय प्रशासनिक सुविधा को ज्यादा महत्व दिया गया था। इसे विधानसभा के सामने भी पेश नहीं किया गया था, जो कि धारा 214 के तहत जरूरी था।
आबादी में दिखा भारी अंतर
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आबादी के अंतर का भी जिक्र किया। नए आदेशों के कारण डोडरा कवार में आबादी लगभग 6,300 थी, जबकि कोटखाई में यह 37,000 से ज्यादा पहुंच गई थी। यह अंतर संविधान के अनुच्छेद 243C के तहत समान प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को तोड़ता है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे असंतुलन को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
चुनाव प्रक्रिया पर पड़ेगा असर
देवेंद्र सिंह नेगी ने इस परिसीमन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सरकार ने दलील दी थी कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता। हालांकि, बेंच ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जहां कानूनी उल्लंघन होगा, वहां अदालत हस्तक्षेप करेगी। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों पर असर पड़ना तय है। अब सरकार को पुरानी प्रक्रिया के तहत दोबारा नोटिफिकेशन जारी करना पड़ सकता है।
