Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज चुनावों की तैयारियों के बीच राज्य सरकार ने बड़ा प्रशासनिक बदलाव किया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव के पद से राजेश शर्मा को हटा दिया गया है। अब सी पालरासु को इस महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नए सचिव ने तुरंत अपना कार्यभार संभाल लिया है।
यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है जब पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी होनी है। प्रशासनिक परिवर्तन ने राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू कर दी है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चुनाव प्रक्रिया से पहले यह कदम महत्वपूर्ण हो सकता है। नया प्रशासनिक ढांचा चुनावों के संचालन में भूमिका निभाएगा।
चुनाव आचार संहिता लागू
हिमाचल प्रदेश राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पंचायत चुनावों के मद्देनजर आदर्श चुनाव आचार संहिता की धारा 2.1 लागू कर दी है। इसके तहत पंचायतों और निकायों की सीमाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव करने पर रोक लग गई है। यह कदम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
आचार संहिता लागू होने के बाद प्रशासनिक निर्णयों पर विशेष नजर रखी जाएगी। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक माना जा रहा है। सीमा परिवर्तन पर रोक से चुनावी व्यवस्था में अचानक परिवर्तन नहीं होंगे। इससे मतदाताओं को भी स्थिरता मिलेगी।
हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
पंचायत चुनावों में लगातार हो रही देरी पर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। अदालत ने दोनों पक्षों से 21 दिसंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी। न्यायालय चुनाव प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दबाव बना रहा है। इसके पीछे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समय पर पूरा करने की मंशा है। सरकार और चुनाव आयोग को अदालत के सामने अपना पक्ष रखना होगा।
प्रशासनिक परिवर्तन और न्यायालय की सक्रियता ने पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक गलियारों में गहमागहमी बढ़ा दी है। सभी राजनीतिक दल अब चुनावी तैयारियों को और तेज कर सकते हैं। जमीनी स्तर पर पार्टियां अपनी रणनीति बना रही हैं।
नया सचिव चुनाव प्रक्रिया की देखरेख करेगा। उनके सामने निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने की चुनौती होगी। प्रशासनिक मशीनरी चुनावों के लिए खुद को तैयार कर रही है। सभी जिला अधिकारियों को相应 दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं।
पंचायती राज संस्थाएं लोकतंत्र की मजबूत नींव मानी जाती हैं। इनके चुनाव स्थानीय स्तर पर बहुत महत्व रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की दिशा तय करने में इनकी भूमिका अहम होती है। इसलिए इन चुनावों पर सभी की नजरें टिकी हैं।
चुनाव आयोग की सक्रियता से स्पष्ट है कि प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। आचार संहिता लागू होने के बाद चुनावी गतिविधियां तेज हो सकती हैं। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चयन करने में जुट सकते हैं। मतदाता भी इस प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
प्रशासनिक बदलाव को चुनावी तैयारियों का हिस्सा माना जा रहा है। नया अधिकारी अपने अनुभव के आधार पर कार्य करेगा। विभाग की कार्यप्रणाली में नई गति आने की उम्मीद है। चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
